गैलकाइनिश गैस क्षेत्र में अध्ययन शुरू करेगा भारत | नयनिमा बसु / नई दिल्ली July 23, 2013 | | | | |
गैस आपूर्ति के नए स्रोत हासिल करने के मद्देनजर सरकार ने सभी प्रमुख तेल एवं गैस कंपनियों को तुर्कमेनिस्तान के विशाल गैलकाइनिश गैस क्षेत्र में संभाव्यता अध्ययन शुरू करने के लिए कहा है। हालांकि भारत तुर्कमेनिस्तान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (तापी) के बीच गैस पाइपलाइन परियोजना पर काम कर रहा है लेकिन इस गैस क्षेत्र में हिस्सेदारी हासिल होने पर तुर्कमेनिस्तान से गैस की आपूर्ति और मजबूत होगी।
विदेश मंत्रालय के अधीन ऊर्जा सुरक्षा प्रभाग ने पिछले सप्ताह तापी परियोजना पर बैठक की थी जिसमें देश के प्रमुख तेल एवं गैस कंपनियों को बुलाया गया था। बैठक में गैलकाइनिश गैस क्षेत्र में हिस्सेदारी हासिल करने की संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया गया। इस गैस क्षेत्र पर कई अन्य अंतरराष्टï्रीय तेल कंपनियों की नजरें टिकी हुई हैं। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि बैठक में निर्णय लिया गया कि संभाव्यता अध्ययन अगले महीने तक शुरू किया जा सकता है। कई अरब डॉलर की तापी परियोजना को 2006 में चालू नहीं किया जा सका क्योंकि तुर्कमेनिस्तान सरकार ने इस गैस क्षेत्र में उत्खनन के लिए अंतरराष्टï्रीय कंपनियों को उत्खनन अधिकार देने से इनकार कर दिया था।
तापी परियोजना के तहत आपूर्ति के लिए इसी गैस क्षेत्र को स्रोत बनाया गया था। गैलकाइनिश गैस क्षेत्र को विश्व का दूसरा सबसे बड़ा गैस क्षेत्र माना जाता है। लेकिन तापी परियोजना में निवेशकों की रुचि जगाने के मद्देनजर तुर्कमेनिस्तान सरकार ने कुछ अंतरराष्टï्रीय कंपनियों को इस गैस क्षेत्र में उत्खनन अधिकारों की मंजूरी दी है। पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने इस महीने के आरंभ में कहा था कि तुर्कमेनिस्तान इस विशाल गैस क्षेत्र में हिस्सेदारी की पेशकश करने के लिए राजी हो गया है और इसके लिए एक अंतरराष्टï्रीय कंसोर्टियम बनेगा जिसमें भारत की भी हिस्सेदारी होगी।
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