डेक्कन के रेड्डïी गिरफ्तार, जमानत | बीएस संवाददाता / हैदराबाद/चंडीगढ़ July 18, 2013 | | | | |
चेक बाउंस होने के मामले में चंडीगढ़ पुलिस ने गुरुवार को डेक्कन क्रॉनिकल के पूर्व स्वतंत्र निदेशक एम सुकुमार रेड्डïी को गिरफ्तार कर लिया। यह मामला रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड ने दर्ज कराया था।
पुलिस ने रेड्डïी को चंडीगढ़ की एक स्थानीय अदालत में पेश किया। बाद में न्यायालय ने उन्हें 20 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी। रेड्डïी डीसीएचएल चेयरमैन टी वेंकटरमण रेड्डïी के निकट संबंधी है। डीएचसीएल हैदराबाद की एक मीडिया कंपनी है जो डेक्कन क्रॉनिकल अंग्रेजी और तेलगु समाचार पत्र आंध्र भूमि का प्रकाशन करती है। आईपीएल की पूर्व टीम डेक्कन चार्जर्स का नियंत्रण भी इसके पास था। इस साल 23 मार्च को न्यायालय में अनुपस्थित रहने के बाद चंडीगढ़ न्यायालय ने डीसीएचल के निदेशकों के खिलाफ वारंट जारी किए थे।
डीसीएचएल के उच्च प्रबंधन ने अपने बड़े अधिकारियों के लिए न्यायालय में व्यक्तिगत तौर पर उपस्थिति होने से छूट की मांग की थी, लेकिन न्यायालय ने यह याचिका अस्वीकार कर दी और डीसीएचल के सभी निदेशकों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिए। इनमें वाइस चेयरमैन और अथॉराइज्ड सिग्नेटरी पी के अय्यर भी शामिल थे। चेक बाउंस मामले में न्यायालय में पेश नहीं होने के बाद पुलिस ने डक्कन क्रॉनिकल के प्रवर्तकों की धड़-पकड़ का दूसरा प्रयास किया था, लेकिन कंपनी के पूर्व स्वतंत्र निदेशक को ही हिरासत में लिया जा सका।
रेलिगेयर फिनवेस्ट ने 100 करोड़ रुपये डक्कन क्रॉनिकल को उधार दिए थे। डेक्कन क्रॉनिकल ने इसे 6 करोड़ रुपये का एक चेक जारी किया था, जिसे बैंक ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद इसने इस साल के शुरू में एक मामला दर्ज किया था।
प्राथमिक दर्ज होने के बाद चेयरमैन टी वी वेंकटरमण रेड्डïी, वाइस चेयरमैन और अथॉराइज्ड सिग्नेटरी पी के अय्यर, प्रबंधक निदेशक टी विनायक रवि रेड्डïी सहित डक्कन क्रॉनिकल के प्रवर्तकों के खिलाफ वारंट जारी हुए।
रेलिगेयर फिनवेस्ट की एक शिकायत पर आर्थिक मामलों के विभाग ने अलग से एक मामला दर्ज किया था। शिकायत के अनुसार डेक्कन क्रॉनिकल को अब भी 57.09 करोड़ रुपये का भुगतान करना था। इस पहले जुलाई की शुरुआत में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने डेक्कन क्रॉनिकल के एक कर्जदाता केनरा बैंक की शिकायत पर कंपनी के प्रवर्तकों के खिलाफ धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया था। मीडिया कंपनी डेक्कन क्रॉनिकल ने स्वीकार किया था कि इसने बैंक और वित्तीय संस्थानों से 4,000 करोड़ रुपये अल्पावधि ऋण के तौर पर लिए थे।
कंपनी के भुगतान करने में असफल रहने के बाद इसके दर्जनों कर्जदाताओं ने ऋण वसूली ट्राइब्यूनल में अर्जी दायर की थी। यह भी पाया गया था कि कंपनी ने एक नकली कागजात और एक ही जायदाद विभिन्न कर्जदाताओं को गिरवी रखकर अवैध तरीके से कर्ज हासिल किया था।
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