बाजार में उथल-पुथल की वजह से पोर्टफोलियो प्रबंधन योजना (पीएमएस) के तहत बड़े निवेशक भी बाजार में पूंजी लगाने में हिचक रहे हैं।
गौरतलब है कि पोर्टफोलियो प्रबंधन योजना ब्रोकरेज हाउसों की ओर से उन धनाढय निवेशकों के लिए चलाई जाती है, जो 5 लाख रुपये से लेकर 10 करोड़ रुपये तक का निवेश करने में सक्षम हों।हालांकि जनवरी की शुरुआत में शेयर बाजार में आई भारी गिरावट (तकरीबन 30 फीसदी) की वजह से इसके तहत चलाई जानी वाली सभी योजनाओं के मूल्यों में खासी गिरावट दर्ज की गई है।
बड़े निवेशकों में से कुछ तो स्वतंत्र रूप से शेयर बाजार में अपना कारोबार करते हैं, वहीं कई ऐसे निवेशक भी हैं, जो पोर्टफोलियो प्रबंधन योजना के तहत अपने पैसे का निवेश करते हैं। वेल्थ मैनेजमेंट ग्रुप, एमके शेयर ऐंड स्टॉक ब्रोकर के बिजनेस प्रमुख अखिलेश सिंह ने बताया कि वे बड़े निवेशक जो खुद से बाजार में पैसा लगाते हैं, उन्हें बाजार में आई गिरावट से खासा नुकसान उठाना पड़ा है।
किसी ने भी नहीं सोचा था कि सेंसेक्स इतना नीचे चला जाएगा। सच तो यह है कि ऐसी परिस्थिति में कोई बाजार में सुधार को लेकर नहीं सोच रहा है। यही वजह है कि शेयर बाजार में धन का प्रवाह थम सा गया है।
सिंह ने कहा कि एमके फिलहाल कम से कम 50 लाख रुपये निवेश करने वाले निवेशकों को ही पोर्टफोलियो प्रबंधन योजना की सुविधा मुहैया करा रही है। हालांकि उसकी योजना नए उत्पादों को लाने की भी है, जिससे अपेक्षाकृत कम निवेश करने वाले निवेशक भी इसका लाभ उठा सकें।पोर्टफोलियो प्रंबधन योजना उपलब्ध कराने वाली एक अन्य संस्था कोटक सिक्यूरिटीज न्यूनतम एक करोड़ रुपये या उससे अधिक का निवेश करने वालों को ही यह सुविधा मुहैया कराती है। पीएमएस के तहत कोटक सिक्यूरिटीज के कुल सात उत्पाद हैं, जो 18 से 26 माह की अवधि के हैं।
फाइनैंशियल प्लानिंग ग्रुप, कोटक सिक्यूरिटीज के उपाध्यक्ष बी. गोपकुमार का कहना है कि इक्विटी को परिसंपत्ति के रूप में देखने को लेकर लोगों में जो घबराहट है, वह अगले 6 से 8 महीने तक बरकरार रह सकती है। यही वजह है कि पूंजी गारंटी उत्पाद, सोना और डेट को परिसंपत्ति के रूप में देखा जा रहा है और इसकी मांग भी बढ़ रही है। जब बाजार 18000-19000 के अंक को छू रहा था, तब बहुत से पोर्टफोलियो प्रबंधकों ने बिकवाली में रुचि दिखाई, जिससे वे फायदे में रहे। इसके विपरीत जो पोर्टफोलियो प्रबंधक बाजार में और तेजी आने का इंतजार कर रहे थे, उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा।