बाजार नियामक सेबी ने आज कहा कि वह आईपीओ के ग्रेडिंग की परिकल्पना की समीक्षा करेगा। सेबी को अब इस परिकल्पना से संबंधित सकारात्मक और नकारात्मक दोनों किस्म की प्रतिक्रियाओं से कुछ अनुभव प्राप्त हो गया है।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के अध्यक्ष सी बी भावे ने आज यहां मर्चेंट चेंबर आफ कामर्स के साथ बाचतीत में कहा, 'अब हमारे पास कुछ अनुभव हैं। प्राथमिक बाजार समिति के पास अब अनुभव है कि इसे बरकरार रखना उचित है या नहीं।'
अप्रैल 2007 से सेबी ने सभी आईपीओ की रेटिंग किसी एजेंसी द्वारा ग्रेडिंग करना अनिवार्य बना दिया था। सेबी से अनुमति मिलने के बाद कंपनी को इक्रा, क्रिसिल, फिच और केयर जैसी रेटिंग एजेंसी से संपर्क करना पड़ता है। उन एजेंसियों से प्राप्त ग्रेड का खुलासा अपने दस्तावेज में करना पड़ता है। ग्रेडिंग एक से पांच के बीच होती है जहां पांच की ग्रेड सर्वश्रेष्ठ होती है जबकि एक खराब बुनियाद के लिए दी जाती है।
उधर सेबी के पूर्णकालिक सदस्य टी सी नायर ने बताया कि शेयर बाजार नियामक सेबी द्वारा पिछले साल अक्तूबर में सहभागिता पत्र (पार्टिसिपेटरी नोट यानी पीएन) पर लगाए गए प्रतिबंध का भारत में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के प्रवेश पर कुछ असर नहीं हुआ और पिछले दस महीनों के दौरान 400 से अधिक एफआईआई का पंजीकरण हुआ।
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पूर्णकालिक सदस्य टी सी नायर ने हेज फंड पर एसोचैम के एक अध्ययन को आज लांच करते हुए कहा, ' अक्तूबर से लेकर अब तक 400 से अधिक एफआईआई का देश में पंजीकरण हुआ है। आज 1400 से अधिक एफआईआई हैं। जब हमने पी-नोट पर प्रतिबंध लगाया था तब यह संख्या 1000 थी।' उन्होंने कहा कि सेबी द्वारा अगले तीन महीने में 20 से 30 और एफआईआई का पंजीकरण किया जाएगा।
इन सभी के आवेदन बाजार नियामक के पास लंबित हैं। इनके आवेदनों का निस्तारण दिसंबर-जनवरी तक होने की उम्मीद है। पिछले साल अक्तूबर में सेबी ने प्रस्ताव किया था कि एफआईआई न तो नए पीएन जारी कर सकते हैं या न ही कोई नवीकरण कर सकते हैं।