मीडिया के जरिये चमकेगा खाद्य विधेयक | |
बीएस संवाददाता / नई दिल्ली 07 05, 2013 | | | | |
चुनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार अपने महत्त्वाकांक्षी राष्टï्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश को लोकप्रिय और प्रचारित किए जाने के लिए व्यापक मीडिया अभियान की योजना बना रही है। इस अध्यादेश को आज ही राष्टï्रपति की मंजूरी मिली है।
इस घटनाक्रम से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि एक विस्तृत मीडिया रणनीति बनाई जा रही है जिसमें राष्टï्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक की विशेषताओं को प्रचारित किए जाने के लिए मीडिया के तीनों स्वरूपों प्रिंट, टेलीविजन और वेब का गहन इस्तेमाल शामिल हो सकता है। मीडिया पहल को कार्यान्वित किए जाने के लिए वरिष्ठï अधिकारियों की एक अलग टीम भ बनाई जा सकती है।
इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम को प्रचारित किए जाने की रणनीति बनाए जाने के लिए सूचना एवं प्रसारण विभाग और खाद्य विभाग के वरिष्ठï अधिकारियों के बीच उनके संबद्घ मंत्रियों की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक हुई है। अधिकारियों ने कहा कि इस पहल में वित्त को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है और बाद की चर्चाओं में इसे अंतिम रूप दिया जा सकता है।
अधिकारियों ने कहा कि राज्यों को अध्यादेश में निर्दिष्टï गाइडलाइंस के मुताबिक लाभार्थियों की सूची को अंतिम रूप दिए जाने के लिए 6 महीने का समय दिया गया है और इस दौरान उन्हें लक्षित जन वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के मौजूदा मानकों के तहत अनाज मिलता रहेगा।
राष्टï्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश से राजकोष पर 125,000 करोड़ रुपये का भार पड़ेगा जो 2013-14 के 90,000 करोड़ रुपये के खाद्य सब्सिडी बजट से अधिक है। इसमें प्रत्येक लाभार्थी को 3 रुपये प्रति किलोग्राम चावल, 2 रुपये प्रति किलोग्राम गेंहूं और 1 रुपये प्रति किलोग्राम अनाज के हिसाब से 5 किलोग्राम गेहूं, या चावल या मोटे अनाज दिए जाने का वादा किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि अध्यादेश के अनुसार भारत को सालाना 6.123 करोड़ टन अनाज की जरूरत होगी। अध्यादेश में सभी गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए 6 महीने तक 1,000 रुपये का मासिक भत्ता दिए जाने की भी गारंटी दी गई है। इसमें पोषण संबंधी मानकों के तहत 6 महीने से 6 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए अनाज या पके भोजन के लिए भी कानून हक प्रदान किया गया है।
अधिकारियों ने कहा कि लाभार्थियों को मुहैया कराए जाने वाले अनाज की रियायती कीमत सिर्फ तीन वर्षों के लिए तय की जाएगी और उसके बाद सरकार द्वारा इसमें संशोधन किया जाएगा।
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