तकनीक से जिंदगी आसान लेकिन हमेशा रहें सावधान | जयंत पई / June 23, 2013 | | | | |
इन दिनों तकनीक शब्द सुविधा और आराम का दूसरा नाम हो गया है। कुछ तकनीक तो इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि लोग इनके बिना जीने की कल्पना नहीं कर सकते हैं। तकनीक ने निवेश और पर्सनल फाइनैंस के क्षेत्र में भी अपनी पहचान स्थापित कर ली है। इसके कुछ लाभ भी हैं।
पहुंच आसान
इन दिनों केवल सूचनाओं तक पहुंच ही काफी नहीं मानी जाती है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, जन संचार आदि आंकड़ों और सूचनाओं से पटे रहते हैं। इसके साथ नियमों में सुधार से खुलासा संबंधी प्रक्रिया भी बेहतर हुई है, जिससे बेहतर गुणवत्ता वाले आंकड़े सामने आते हैं। इससे सभी प्रकार के निवेशकों को सुविधा हुई है।
आसान परिचालन
बिजली बिल के भुगतान, शेयर कारोबार, बैंकिंग या बीमा प्रीमियम सभी के लिए हम ऑनलाइन भुगतान की सुविधा सबसे पहले तलाशते हैं। स्मार्टफोन और टैबलेट के समय में अब कई कंपनियां ऑनलाइन सुविधाएं दे रही हैं।
बिचौलियों की कम हुई भूमिका
सूचनाओं के प्रसार के साथ ही कई उत्पाद विनिर्माताएं जैसे म्युचुअल फंड कंपनियां अपने ग्राहकों तक इंटरनेट के जरिये सीधे पहुंच सकती हैं। इससे मध्यस्थों के मन में असुरक्षा की भावना भी पैदा हुई है, वहीं सूचनाओं से लैस ग्राहक काफी खुश हैं। यहां तक कि वित्त मंत्रालय ने भी कर का भुगतान ऑनलाइन करना अनिवार्य कर दिया है।
खर्च में कमी
तकनीक से जहां कंपनियों को अपने उत्पाद अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में सुविधा मिली है, वहीं इससे इनका परिचालन खर्च भी कम हो गया है। इससे जो बचत हो रही है उसका लाभ ग्राहकों को दिया जा रहा है। तकनीक की वजह से कंपिनयों की कीमतें तय करने की क्षमता भी कम हुई है,जिससे ग्राहकों को लाभ मिला है।
नई उत्पाद श्रेणी
करीब एक दशक किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि बीमा योजनाओं की पेशकश ऑनलाइन हो सकती है। आज ऑनलाइन टर्म प्लान तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, पलक झपकते ही आप बचत बैंक खाते से अधिक ब्याज देने वाले उसी बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट योजना में रकम स्थानांतरित कर सकते हैं।
पब्लिक प्रोविडेंड फंड (पीपीएफ) योजना भी ऑनलाइन खरीदी जा सकती है। हम में से ज्यादातर लोग इस बात से सहमत हैं कि नई तकनीकों के विकास से सुविधाएं तो बढ़ी है, लेकिन इसके कुछ दूसरे पहलू भी हैं।
पहले हम कि सी ऑफलाइन ट्रांजेक्शन से जुड़े मुद्दे का निराकर बैंक मैनेजर के साथ आराम से कर सकते थे, लेकिन आज यह स्थिति नहीं रह गई है। अब ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से पैदा हुई किसी समस्या के समाधान के लिए हमें आईवीआर के निर्देशों का अनुपालन करना होता है या फिर कॉल सेंटर अधिकारियों से बात करनी होती है। कहने का आशय यह है कि तकनीक तब तक ठीक है, जब तक इससे किसी तरह की समस्या नहीं आती है।
सुरक्षा संबंधी चिंता
इन दिनों सभी कंपनियां अपने ट्रांजेक्शन पोर्टल के पूरी तरह सुरिक्षत होने का दावा करती हैं। लेकिन कुछ दूसरे तरह के जोखिम भी होते हैं, जिन्हें रोकने के लिए इनके पास कोई पुख्ता तरीका नहीं होता है। सारा खेल पासवर्ड पर टिका होता है। चूंकि, इनमें सभी के लिए इन्हें याद रखना आसान नहीं होता है, इसलिए वे कहीं वे लिख कर रख लेते हैं। लेकिन गलत हाथों में जाने पर इससे खतरा पैदा हो सकता है।
आंकड़ों में गड़बड़ी
सेवा प्रदाता के स्तर पर लापरवाही होने से डेटा चोरी हो सकती है। इसके मद्देनजर अपनी वित्तीय परिसंपत्तियों का फिजिकल रिकॉर्ड अपने पास रखना जरूरी होता है।
मानवीय भूल
रकम स्थानांरित करने या ऑर्डर देते समय गलती से गलत आंकड़े डाले जाने से बंटाधार हो सकता है। कभी-कभी तो गलतियों में सुधार आसान नहीं होता है, जिससे मोटा नुकसान उठाना पड़ता है। संक्षेप में कहें तो तकनीक से हमारा जीवन आसान जरूर हो गया है लेकिन अंतत: लापरवाही से बचना भी हमारी ही जिम्मेदारी है।
लेखक पीपीएफएएस म्युचुअल फंड के विपणन प्रमुख हैं।
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