मुद्रास्फीति में कमी से असमंजस में सुब्बा | नीलाश्री बर्मन / मुंबई June 16, 2013 | | | | |
थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति की दर मई में घटी तो सरकार और अर्थशास्त्रियों ने राहत की सांस ली। लेकिन इस गिरावट ने किसी की परेशानी भी बढ़ा दी है और वह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर डी सुब्बाराव हैं। कल मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा पेश करने जा रहे सुब्बाराव विकास दर बढ़ाना चाहते हैं और रुपये की उलटबांसी के बीच महंगाई पर लगाम कसना भी चाहते हैं।
एक विदेशी बैंक के एक ट्रेजरी अधिकारी ने कहा, 'मई से रुपया जिस तरह लुढ़क रहा है, उससे दरों में कटौती का मतलब ही नहीं बनता। लेकिन मई में मुद्रास्फीति कम हुई है, जिससे आरबीआई दरों में कटौती पर विचार कर सकता है।Ó असल में रुपया मई के आरंभ से ही डॉलर के मुकाबले 8 फीसदी गिर चुका है। दूसरी ओर महंगाई दर भी घटकर 4.7 फीसदी रह गई, जिसका अनुमान आरबीआई ने पहले ही लगाया था। इसके अलावा अप्रैल में औद्योगिक उत्पादन की विकास दर 2.3 फीसदी ही रह गई। ऐसे में आरबीआई उद्योगों को सहारा देने के लिए कुछ कर सकता है।
आईसीआईसीआई सिक्योरिटज के मुख्य अर्थशास्त्री ए प्रसन्ना ने कहा, 'महंगाई और विकास दर की हालत देखते हुए आरबीआई को दरें घटानी चाहिए। लेकिन वित्तीय बाजार की हालत बता रही है कि सोमवार की समीक्षा में ऐसा मुश्किल से ही होगा।Ó
हालांकि कुछ लोगों को रीपो दर में कटौती के आसार दिख रहे हैं। एचएसबीसी के लीफ एस्केसेन और पृथ्वीराज श्रीनिवास ने कहा, 'मंहगाई दर में कमी आ रही है और हमें उम्मीद है कि आरबीआई रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है।Ó हालांकि उन्होंने इस बात की संभावना से भी इनकार नहीं किया कि रुपये में गिरावट देखकर आरबीआई इस कदम को कुछ अरसे के लिए टाल सकता है।
नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) में कटौती पर भी बाजार एकराय नहीं है। एचएसबीसी को लगता है कि सीआरआर नहीं घटेगा और नकदी की किल्लत को खुले बाजार के जरिये कम किया जाएगा। लेकिन बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच के भारतीय अर्थशास्त्री इंद्रनील सेन गुप्ता मानते हैं कि रीपो दर के बजाय सीआरआर में 25 आधार अंक कटौती की जा सकती है।
मौजूदा परिस्थिति में रीपो दर में कटौती की संभावना से इसलिए भी इनकार किया जा रहा है क्योंकि रुपये में गिरावट से महंगाई बढ़ सकती है। अगर सीआरआर घटाया गया तो बैंकों को ब्याज दरें कम करने में मदद मिलेगी। यह बात अलग है कि रीपो दर में हुई अब तक की कटौती का फायदा भी बैंक अपने ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं। जनवरी से अब तक 75 आधार अंक कटौती के साथ रीपो दर 7.25 फीसदी ही रह गई है, लेकिन ब्याज दरें उसके अनुपात में नहीं घटी हैं। भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन प्रतीप चौधरी ने भी रीपो के बजाय सीआरआर में कटौती की वकालत की है।
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