लिंग अनुपात में गांव पीछे नहीं | |
शशिकांत त्रिवेदी / भोपाल 06 11, 2013 | | | | |
मध्य प्रदेश को आदिवासी बहुल जिले अलीराजपुर और डिंडोरी जिले में शून्य से 6 साल के उम्र दायरे में लिंगानुपात सबसे अधिक रहा है। अलीराजपुर में पुरुषों की साक्षरता दर 37 प्रतिशत और माहिलाओं की साक्षरता दर 26 प्रतिशत है।
हालांकि लड़कियों को बचाने के लिए राज्य सरकार के द्वारा किए जा रहे प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं। जनसंख्या निदेशक द्वारा आज जारी रिपोर्ट के अनुसार 2001-2011 में राज्य में शिशु लिंग अनुपात 1981 के 932 से कम होकर यह 918 के स्तर पर रह गया। उत्तर प्रदेश से सटे मुरैना जिले में शिशु लिंगानुपात सबसे कम प्रति एक हजार लड़कों पर केवल 829 लड़कियां ही है। हालांकि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में लिंगानुपात 927 से बढ़कर 936 हो गया हैं जंंबकि शहरी क्षेत्रों में यह 898 से 20 अंक बढ़कर 918 हो गया।
नक्सल प्रभावित होने के चलते मध्य प्रदेश का बालाघाट जिला काफी पिछड़ा रहा है। लेकिन लिंगानुपात के मामले में इसने मिसाल पेश की है। इस जिले का औसत लिंगानुपात 1021 रहा। ग्रामीण क्षेत्र में यह आंकड़ा 1,024 और शहरी क्षेत्रों में 1,000 है। यानी इस जिले में बालक शिशु की तुलना में बालिकाओं की संख्या ज्यादा है। 2001 की जनगणना में भी बालाघाट का लिंगानुपात 1022 रहा था। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 1030 और शहरी क्षेत्रों 970 रहा था। इस आधार पर देखें तो शहरी क्षेत्रों के लिंगानुपात में सुधार आया है। लिंगानुपात मामले में सबसे खराब प्रदर्शन भिंड जिले का है। यहां एक हजार बच्चों की तुलना बच्चियों की संख्या महज 828 है।
इसके पड़ोसी जिले मुरैना में यह आंकड़ा 858 है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक 2011 की जनगणना के मुताबिक मध्य प्रदेश की कुल आबादी 7 करोड़ 26 लाख है। इसमें 5 करोड़ 26 लाख लोग गांवों में रहते हैं जबकि महज 2 करोड़ लोग ही शहरों में निवास करते हैं। पिछले एक दशक के दौरान राज्य की आबादी 1.23 करोड़ बढ़ी। इसमें ग्रामीण क्षेत्रों की आबादी में 82 लाख और शहरी क्षेत्रों की आबादी में 41 लाख का इजाफा हुआ।
इंदौर जिले की कुल आबादी का 12.1 फीसदी लोग शहरों में रहते हैं। इस मामले में यह जिला राज्य में सबसे अव्वल है। इसके बाद भोपाल का नंबर आता है जहां कुल आबादी का 9.6 फीसदी लोग शहरों में रहते हैं।
दिल्ली में लिंग अनुपात सुधरा
महिला आबादी में 24.9 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ दिल्ली में लिंग अनुपात में सुधार देखने को मिला, जबकि पुरुष आबादी में 18.1 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई। आज जारी हुए प्राथमिक जनगणना सारांश 2011 के मुताबिक 2001-2011 के दौरान दिल्ली की आबादी में 21.2 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई। 2001 में जहां लिंगानुपात 821 था, वहीं 2011 में यह आंकड़ा बढ़कर 868 तक पहुंच गया।
सेंसस ऑपरेशंस (दिल्ली) निदेशक वर्षा जोशी ने कहा कि दिलचस्प है, 1901 में लिंगानुपात 862 था और उसके बाद पहली बार 2011 में यह आंकड़ा पीछे छूट गया है। दिल्ली की आबादी 21 फीसदी बढ़ोतरी के साथ अनुमानित 1.67 करोड़ हो गई, जो 17 फीसदी के राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है। जोशी ने कहा, 'राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र (एनसीटी) की कुल आबादी 1,67,87,941 हो गई है, जिसमें 53.53 फीसदी पुरुष और 46.47 फीसदी महिलाएं हैं।Ó
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