गेहूं खरीद में गिरावट से राहत | संजीव मुखर्जी / नई दिल्ली June 07, 2013 | | | | |
पिछले साल की तुलना में फसल विपणन वर्ष 2013-14 के दौरान गेहूं खरीद में 30 फीसदी से ज्यादा की भारी गिरावट भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के लिए वरदान बनकर आई है। गेहूं और चावल की भारी खरीद के चलते खाद्यान्न स्टॉक बढ़ गया। इसके रखरखाव में एफसीआई ने ढील दिखाई तो उसकी आलोचना होने लगी। अधिकारियों का कहना है कि खरीद कम होने और भंडारण की मात्रा घटने से अब वे खाद्यान्न स्टॉक का ठीक से रखरखाव कर सकेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि मध्य जुलाई के आसपास जब गेहूं खरीद सीजन 2013-14 समाप्त हो तो बहुत कम अनाज ही बाहर रहे।
वर्ष 2012-13 में मई के अंत तक एफसीआई के पास करीब 9 करोड़ खाद्यान्न का स्टॉक था, जबकि उसके पास उपलब्ध भंडारण स्थान करीब 7 करोड़ टन था। हालांकि इस साल स्थिति ठीक है। अभी निगम के पास उपलब्ध भंडारण स्थान 7.1-7.2 करोड़ टन का है, जिसमें छतदार स्थान और कवर्ड एरिया प्लिंथ (सीएपी) शामिल है, जबकि इसके पास उपलब्ध खाद्यान्न का स्टॉक करीब 7.8 करोड़ टन होने का अनुमान है।
अधिकारियों ने कहा कि अगर सरकार ने 2013-14 में अनुमानित 4.4 करोड़ टन गेहूं की खरीद की होती तो भंडारण स्थान की किल्लत को लेकर चिंता की स्थिति पैदा हो सकती थी। लेकिन निजी कारोबारियों की भारी खरीद और हरियाणा एवं मध्य प्रदेश में उत्पादन कम होने से गेहूं की खरीद 2013-14 में करीब 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान है। यह पिछले साल से 30 फीसदी और शुरुआती लक्ष्य से करीब कम है।
एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'अगर गेहूं की खरीद लक्ष्य के मुताबिक रही होती तो खाद्यान्न (गेहूं और चावल) का स्टॉक जून 2013 के अंत तक 9 करोड़ टन से ज्यादा हो सकता था। इससे लॉजिस्टिक की भारी समस्या पैदा हो जाती, लेकिन शुक्र है कि अब ऐसा नहीं होगा।Ó उन्होंने कहा कि इस साल खाद्यान्न का स्टॉक जिसके लिए गेहूं खरीद सीजन के अंत में उचित भंडारण की जगह नहीं होगी, करीब 60-70 लाख टन रहने का अनुमान है, जिसका आसानी से प्रबंध किया जा सकता है।
अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए एफसीआई हर महीने करीब 50-60 लाख टन गेहूं और चावल मुहैया कराता है। इसलिए अतिरिक्त स्टॉक की खपत में मुश्किल से कुछ ही महीने लगेंगे। वर्ष 2012-13 में देशभर में फैले एफसीआई के गोदामों से पीडीएस के जरिये 6 करोड़ टन से ज्यादा खाद्यान्न का वितरण किया गया था।
|