नक्सली हमले में मारे गए नेताओं को श्रद्घांजलि देने के लिए आयोजित सर्वधर्म प्राथना सभा में छत्तीसगढ़ कांग्रेस का अंदरूनी बखेड़ा खुलकर सामने आ गया। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी ने कांग्रेस महासचिव और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के साथ अग्रिम पंक्ति में बैठने से मना कर दिया। दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक कटुता कोई नई बात नहीं है। जोगी ने दिग्विजय सिंह के साथ सीट साझा करने की बजाए पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच बैठना पसंद किया और इस दौरान उन्होंने दिग्विजय सिंह का नाम लिए बगैर उन पर हमला करने का मौका नहीं गंवाया। राघोगढ़ से ताल्लुक रखने वाले दिग्विजय सिंह का नाम लिए बगैर जोगी ने कहा, 'प्रतापगढ़, नजफगढ़ या किसी भी 'गढ़Ó का कोई नेता छत्तीसगढ़ की मदद नहीं करेगा।Ó उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के नेताओं ने नक्सली हमले में अपनी जान गंवायी है और राज्य के पार्टी कार्यकर्ता आगे भी अपना संघर्ष जारी रखेंगे। जोगी ने कहा कि छत्तीसगढ़ का 'बेटाÓ भी राज्य को समृद्घ बना सकता है और कोई भी 'बाहरीÓ व्यक्ति प्रभावी तरीके से काम नहीं कर सकता। उल्लेखनीय है कि जोगी और सिंह के बीच राजनीतिक कटुता दशकों पुरानी है और यह तब से चली आ रही है जब नवंबर 2000 में मध्य प्रदेश से अलग कर छत्तीसगढ़ को नया राज्य बनाया गया था। उस समय दिग्विजय सिंह अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हुआ करते थे और जोगी को छत्तीसगढ़ का पहला मुख्यमंत्री नियुुक्त किया गया था। जोगी के तीन सालों के कार्यकाल के दौरान सिंह ने कभी छत्तीसगढ़ का दौरा नहीं किया। दोनों नेताओं के बीच मतभेद उस समय और गहरा गया जब राज्य पार्टी प्रमुख नंद कुमार पटेल की मौत के बाद केंद्रीय राज्य कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री चरण दास को छत्तीसगढ़ कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। 25 मई को बस्तर जिले के दरभा घाट में हुए नक्सली हमले में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रमुख और पूर्व विपक्षी नेता महेंद्र कर्मा समेत अन्य 29 नेता मारे गए थे। जोगी चाहते थे कि यह पद उनके समर्थक को दिया जाए। छत्तीसगढ़ की राजनीति में सिंह का हस्तक्षेप जोगी कैंप के लिए नागवार है। सिंह ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि छत्तीसगढ़ में कौन मेरा विरोध कर रहा है।Ó उन्होंने कहा कि केवल भाजपा और नक्सली ही छत्तीसगढ़ में उनका विरोध करेंगे।
