निवेशकों की धन वापसी के लिए समिति | एन सुंदरेश सुब्रमण्यन / नई दिल्ली May 30, 2013 | | | | |
अरिहंत मंगल स्कीम के तहत सीआरबी म्युचुअल फंड में निवेश करने वाले लोगों को उम्मीद जगी है कि 20 साल बाद उन्हें कुछ धन वापस मिल सकेगा। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेवानिवृत्त जिला न्यायधीश एसके टंडन की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय समिति का गठन किया है। समिति का कार्यकाल 1 साल है, जिसे इस योजना को बंद करने और यूनिट धारकों को भुगतान करने के व्यापक अधिकार दिए गए हैं।
चैन रूप भंसाली प्रवर्तित सीआरबी म्युचुअल फंड ने 1994 में योजना पेश की थी, जिसके जरिये हजारों निवेशकों से 230 करोड़ रुपये जुटाए गए। चार्टर्ड एकाउंटेंट भंसाली ने एक कारोबारी साम्राज्य खड़ा किया, जिसमें मर्चेंट बैंक, एनबीएफसी, और यहां तक कि एक बैंक भी आनन फानन में खोला था। तेजी से बढ़ते कारोबार के बीच इस समूह पर संदेहास्पद वित्तीय लेन देन और धनशोधन के तमाम आरोप लगे।
गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी सीआरबी कैपिटल मार्केट लिमिटेड पर वित्तीय अनियमितता के आरोप संबंधी रिपोर्ट आने के बाद यूनिटधारकों के हितों की रक्षा के लिए सेबी ने सीआरबी म्युचुअल फंड के ट्रस्टियों को रिपोर्ट पेश करने को कहा। सेबी के निर्देश पर कोई प्रतिक्रिया न मिलने और कुछ ट्रस्टियों के इस्तीफा दे देने के बाद सेबी ने सीआरबी म्युचुअल फंड पर अगले आदेश तक के लिए 21 मई 1997 को प्रतिभूति बेचने पर पाबंदी लगा दी।
बहरहाल 1997 में यूनिटधारकों के हितों की रक्षा और उनका पुनर्भुगतान सुनिश्चित करने के लिए बंबई उच्च न्यायालय के समक्ष विश्वास याचिका दायर की। जनवरी 1999 में उच्च न्यायालय ने प्रति यूनिट 4.95 रुपये की दर से प्रत्येक यूनिटधारकों जिनके पास 10,000 यूनिट थीं, को 300 यूनिट के भुगतान को मंजूरी दे दी। चूंकि, फंड कंपनी के निदेशक और बोर्ड के ट्रस्टी योजना का प्रभार नहीं लेना चाहते थे, इसलिए एक आधिकारिक प्रशासक की नियुक्ति की गईफरवरी 2012 में प्रशासक एमएलटी फर्नांडिस के देहांत के बाद योजना अधड़ में लटक गई।
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