अमेरिका की कोकिंग कोयला कंपनी यूनाइटेड कोल कंपनी के अधिग्रहण की दौड़ में शामिल जेएसडब्ल्यू स्टील का कहना है कि कंपनी विभिन्न कच्चा माल मुहैया कराने वाली कंपनियों पर नजर बनाए हुए हैं, लेकिन अधिक मूल्यांकन किए जाने के कारण सौदों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है।
जेएसडब्ल्यू स्टील समूह के वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सान जिंदल ने किसी खास कंपनी या देश की ओर इशारा न करते हुए कहा, 'हम दुनियाभर में कई कच्चा माल मुहैया कराने वाली कंपनियों के बारे में विचार कर रहे हैं, लेकिन उनका मूल्यांकन काफी ज्यादा है।'
जिंदल ने यूनाइटेड कोल के लिए उनकी बोली के बारे में कोई भी जानकारी देने से इनकार कर दिया। जेएसडब्ल्यू ने अमेरिका की इस कंपनी के साथ किसी भी तरह का खुलासा न करने के लिए एक करार किया है। सूत्रों का कहना है कि यूनाइटेड कोल के लिए कई और कंपनियों ने भी बोलियां लगाई हैं। इसका मूल्यांकन लगभग 6300 करोड़ रुपये से 8400 करोड़ रुपये के बीच किया गया था, लेकिन अब यह बढ़ सकता है।
यूनाइडेट कोल के पास 16.50 करोड़ टन का भंडारण है और वह 60 लाख टन कोकिंग कोयला का उत्पादन करती है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि बिना यूनाइडेट कोल के भी जेएसडब्ल्यू स्टील 2011-12 तक कच्चे माल की आपूर्ति से निश्चिंत हो जाएगा।
मोजांबिक लाइसेंस के साथ कंपनी को अलग साल में 20 लाख टन कोकिंग कोयला मिल जाएगा, जो 36 महीनों की अवधि में 45 लाख टन तक पहुंच जाएगा। साथ ही कंपनी को झारखंड कोयला ब्लॉक में 69 प्रतिशत आवंटित है। जेएसडब्ल्यू की सिस्कॉल के साथ 2011-12 तक क्षमता 1.1 करोड़ टन तक पहुंच जाएगी और कंपनी कोकिंग कोयला की 50 प्रतिशत आपूर्ति को सुनिश्चित कर लेगी।
फिलहाल जेएसडब्लयू अपनी जरूरत का 100 प्रतिशत कोकिंग कोयला आयात करती है। जेएसडब्ल्यू अपनी लौह अयस्क की आपूर्ति को भी सुनिश्चित करने में लगी हुई है। इसके लिए कपंनी अपनी चिली की खानों में लगभग 550 करोड़ रुपये निवेश करेगी, जिसके साथ जून 2009 तक कंपनी लौह अयस्क की 50 प्रतिशत आपूर्ति सुनिश्चित कर लेगी। कंपनी लौह अयस्क को हेज करने की योजना बना रही है। जेएसडब्ल्यू की लौह अयस्क जरूरतों के कुछ हिस्से के लिए फिलहाल सरकारी कंपनी एनएमडीसी की ओर से आपूर्ति की जा रही है।