सीमेंट कंपनियों को नहीं मिली कॉम्पैट से राहत | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली May 17, 2013 | | | | |
प्रतिस्पर्धा अपीलीय पंचाट ने सीमेंट बनाने वाली 11 कंपनियों के साथ-साथ सीमेंट विनिर्माता संघ को आदेश दिया है कि वह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग की तरफ से लगाए गए 6307.32 करोड़ रुपये के जुर्माने का 10 फीसदी एक महीने के भीतर जमा करे।
सीमेंट कंपनियों व सीएमए पर यह जुर्माना कथित तौर पर गुट बनाने और अपने हिसाब से कीमतें बढ़ाने पर लगाया गया था। कंपनियों से कहा गया है कि जुर्माने का 10 फीसदी यानी करीब 630.73 करोड़ रुपये एक महीने के भीतर जमा करे।
पंचाट ने अपने अंतरिम आदेश में कहा है, अगर सीमेंट कंपनियां तय समय में रकम जमा कराने में नाकाम रहती है तो उनकी याचिका खारिज कर दी जाएगी। इस मामले पर अंतिम सुनवाई अगस्त में होगी। बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की शिकायत के बाद भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने सीमेंट बनाने वाली कुल 39 कंपनियों की जांच की थी और पिछले साल जून में ग्रासिम सीमेंट (जिसका विलय अल्ट्राटेक सीमेंट के साथ हुआ), लाफार्ज इंडिया, जेके सीमेंट, इंडिया सीमेंट्स, मद्रास सीमेंट्स, सेंचुरी सीमेंट्स और बिनानी सीमेंट्स जैसी प्रमुख कंपनियों पर जुर्माना लगाया था।
आयोग के आदेश में कहा गया था कि पक्षकारों ने कीमत, क्षमता और उत्पादन के मामले में सीएमए के प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल करते हुए सभी आंकड़े आपस में साझा करने के लिए संस्थागत व्यवस्था तैयार की ताकि उत्पादन व आपूर्ति को सीमित किया जा सके और अपने हिसाब से कीमतों में इजाफा किया जा सके। सीसीआई ने यह भी पाया कि इन कंपनियों की कवायद बाजार में आपूर्ति सीमित करने और गैर-प्रतिस्पर्धी समझौते के जरिए कीमतें अपने हिसाब से बढ़ाने व इसे नियंत्रित करने से जुड़ी थी। इससे ग्राहकों के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ता है क्योंकि बुनियादी ढांचा क्षेत्र के लिए यह प्रमुख इनपुट है। प्रतिस्पर्धा आयोग ने इन कंपनियों के वित्त वर्ष 2010 व 2011 के औसत मुनाफे का 50 फीसदी जुर्माना लगाया, यह वही अवधि है जो जांच के दायरे में थी।
सीसीआई ने यह आदेश सभी सदस्यों व चेयरमैन अशोक चावला की सहमति से जारी किए थे और इसमें न सिर्फ कंपनियों बल्कि विनिर्माता संघ पर भी जुर्माना लगाया गया था। हालांकि बाद में इन कंपनियों ने कॉम्पैट का दरवाजा खटखटाया और सीसीआई के आदेश को चुनौती देते हुए वहां याचिका दायर की।
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