इस साल कम होगा तेल कंपनियों का घाटा | |
शाइन जैकब / नई दिल्ली 05 03, 2013 | | | | |
सार्वजनिक तेल विपणन कंपनियों के लिए चालू वित्त वर्ष खुशगवार साबित हो सकता है। चालू वित्त वर्ष में डीजल, केरोसिन और रसोई गैस की बिक्री से इन कंपनियों को होने वाला नुकसान 48 फीसदी घटकर 84,400 करोड़ रुपये रह सकता है। वित्त वर्ष 2012-13 में कंपनियों को इस मद में 1,61,000 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ा था।
यह अनुमान अप्रैल के आंकड़ों और उस लाभ पर आधारित है, जो पिछले कुछ महीनों में सरकार द्वारा लिए गए फैसलों से इन कंपनियों को होने की संभावना है। डीजल के दाम से धीरे-धीरे नियंत्रण हटाने, सब्सिडी वाले रसोई गैस सिलिंडरों की संख्या कम करने और रुपये में मजबूती आने के कारण सब्सिडी मद में होने वाला नुकसान घटाने में मदद मिली है। इसके अलावा कच्चे तेल के अंतरराष्टï्रीय भाव करीब 100 डॉलर प्रति बैरल तक गिरने का भी फायदा हुआ है। पिछले साल दिसंबर में कच्चे तेल का भाव 118 डॉलर प्रति बैरल था।
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार डीजल बिक्री पर कंपनियों को होने वाला नुकसान घटकर 4.28 रुपये प्रति लीटर रह गया है। केरोसिन पर 29.33 रुपये प्रति लीटर और रसोई गैस पर 378.50 रुपये प्रति सिलिंडर घाटा है, जो पहले से कम है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के वित्त निदेशक के वी राव ने कहा, 'इस 48 फीसदी गिरावट की मुख्य वजह कच्चे तेल के भाव में गिरावट है। पिछले तीन महीने में यह तेजी से गिरा है। साल में सब्सिडी वाले केवल 9 सिलिंडर देने और डीजल से नियंत्रण आंशिक तौर पर हटाने के फैसलों ने भी मदद की है। लेकिन चालू वित्त वर्ष के लिए ज्यादा वास्तविक आंकड़े बताने में कम से कम तीन महीने लगेंगे।Ó
कंपनियों ने डीजल के दाम 22 मार्च को 45 पैसे प्रति लीटर बढ़ाए, लेकिन अप्रैल में इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की। अगले महीने कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव और संसद के चालू सत्र को देखते हुए सरकार ने फिलहाल कंपनियों को ऐसा नहीं करने का आदेश दिया है। इस साल 17 जनवरी को सरकार ने चरणबद्घ तरीके से डीजल को विनियंत्रित करने का फैसला किया, जिसके तहत कंपनियां हर महीने डीजल पर अधिकतम 50 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर सकती हैं। फरवरी में डीजल की बिक्री पर होने वाला घाटा 10.72 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गया था।
एक उद्योग विश्लेषक ने कहा, 'तेल विपणन कंपनियों को उम्मीद थी कि 2015 की शुरुआत तक वे बाजार कीमत पर ही डीजल बेच सकेंगी। लेकिन अब हर महीने 50 पैसे की बढ़ोतरी और वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के भाव में आई गिरावट को देखते हुए कंपनियां इस लक्ष्य को नौ से 15 महीने में हासिल कर लेंगी। रुपये में सुधार से भी तेल विपणन कंपनियों को घाटा कम करने में मदद मिल रही है।Ó
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि बिक्री से होने वाले घाटे से तभी राहत मिलेगी, जब अंतरराष्टï्रीय कीमत इसी स्तर पर बरकरार रहें। डीजल के आंशिक विनियंत्रण से ही राजस्व नुकसान में 15,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी जबकि सब्सिडी प्राप्त रसोई गैस सिलिंडरों की संख्या सीमित करने से हर साल 7,950 करोड़ रुपये की बचत होगी। 2011-12 के दौरान तेल कंपनियों को 1,38,541 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था, जिसमें से 81,192 करोड़ रुपये का घाटा डीजल के कारण था। रसोई गैस पर 27,352 करोड़ रुपये और केरोसिन पर 29,997 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
डीजल, पेट्रोल और केरोसिन पर सब्सिडी से नुकसान में आएगी 48 फीसदी कमी
- ८कच्चे तेल के अंतरराष्टï्रीय भाव में नरमी, सब्सिडी प्राप्त सिलिंडरों की सीमित संख्या और डीजल के आंशिक विनियंत्रण का असर
- ८चालू वित्त वर्ष के दौरान
- यह 84,000 करोड़ रुपये
- रहने का अनुमान
- ८वित्त वर्ष 2012-13 में यह 1,61,000 करोड़ रुपये थी
- ८कंपनियों को 9 से 15 महीनों में बाजार भाव के बराबर आने की उम्मीद
- ८डीजल बिक्री पर
- नुकसान घटकर हुआ
- 4.23 रुपये प्रति लीटर
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