खादी उद्योग को विकास देने के लिए और बाजार को प्रतियोगी बनाते हुए इस क्षेत्र को और रोजगार परख बनाने के लिए खादी एवं ग्रामीण उद्योग आयोग (केवीआईसी) देश भर के 200 खादी संस्थानों के लिए नई योजनाएं शुरू करने पर विचार कर रही है।
इस योजना के तहत अगले पांच सालों में खादी उद्योग और उससे जुड़े कारीगरों को लाभ पहुंचाने के लिए इन 200 खादी संस्थानों को बेहतर सहयोग मुहैया कराया जाएगा।
नई योजना के तहत खादी से संबंधित सभी गतिविधियों उत्पादन, वितरण, प्रचार और क्षमता के विकास के लिए काम किया जाएगा।
लखनऊ स्थित केवीआईसी के राज्य निदेशक आर एस पांडे ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'हमनें इस नई योजना की शुरुआत के लिए 200 खादी संस्थानों का चयन किया जिनमें से 40 संस्थान उत्तर प्रदेश के हैं।
शुरुआती चरण में इस वित्त वर्ष के दौरान 10 संस्थानों में नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।'
इस योजना के लिए सीतापुर के गांधी आश्रम, ग्राम सेवा संस्थान और लखनऊ, गोरखपुर, मेरठ और वाराणसी के दूसरे खादी संस्थानों का चयन किया गया है।
इस नई योजना के जरिए बुनकरों, धोबियों, छपाई कर्मियों और खादी संस्थान के दूसरे कारीगरों को लाभ पहुंचाया जाएगा।
पांडे ने कहा, 'खादी देश की आजादी से जुड़ा हुआ है और खादी उद्योग के जरिए ही बुनाई, छपाई और दूसरे कारीगरों को रोजगार मिलता है।
ग्रामीण के साथ साथ शहरी इलाकों में भी कई कारीगर इस उद्योग के जरिए ही अपना जीवन चलाते हैं।
उत्तर प्रदेश की खादी की एक विशेषता उसमें हाथों से की गई कढ़ाई है, फिर भी अगर इसे और बेहतर बनाना है तो नई तकनीकों का इस्तेमाल जरूरी है।'
इस योजना के तहत उत्पादन के लिए बुनियादी ढांचा, वैल्यू एडिशन, डिजाइन का विकास, बाजार प्रमोशन और क्षमता के विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
योजना के तहत ऐसे कामगारों को तैयार किया जाएगा जो तकनीकी रूप से और प्रबंधकीय गुणों से भी युक्त हों।
