सरकार को भरोसा, कम होगी थोक महंगाई की रफ्तार | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली February 27, 2013 | | | | |
थोक और खुदरा मुद्रास्फीति की एक दूसरे के उलट चाल के बावजूद सरकार ने भरोसा जताया कि मार्च, 2013 में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित प्रमुख मुद्रास्फीति की दर 6.2 से 6.6 फीसदी के बीच रही। सरकार को गैर खाद्य विनिर्माण क्षेत्र और वैश्विक स्तर पर आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में आ रही कमी के दम पर महंगाई के नीचे आने की उम्मीद है।
डब्ल्यूपीआई या थोक मुद्रास्फीति जनवरी में तीन साल के न्यूनतम स्तर 6.62 फीसदी तक पहुंच गई थी, जबकि बीते साल इसी महीने में यह आंकड़ा 7.23 फीसदी रहा था।
दूसरी तरफ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित या खुदरा मुद्रास्फीति 10.79 फीसदी के साथ दहाई अंकों में बरकरार रही, जबकि बीते साल समान महीने में यह आंकड़ा 7.65 फीसदी रहा था।
आर्थिक समीक्षा के मुताबिक अर्थशास्त्रियों की राय है कि खुदरा मुद्रास्फीति के लिए नीतिगत कदम उठाए जाने चाहिए क्योंकि आम आदमी पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ता है।
इस बीच खाद्य महंगाई पर समीक्षा में कहा गया, 'इस अवधि में विशेष रूप से खाद्य मुद्रास्फीति खासी ऊंची रही है, जो कुल महंगाई में औसतन एक तिहाई का योगदान करती है।Ó
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति आधारित डब्ल्यूपीआई 9.05 फीसदी रही थी। इसी अवधि में सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति 12.10 फीसदी रही थी।
समीक्षा में कहा गया, 'पशु उत्पादों (अंडे, मांस और मछली) की लगातार बढ़ती कीमतें, अनाज व सब्जियों की कीमतों में तेजी, उर्वरकों (गैर यूरिया) की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी के अलावा डीजल कीमतों में भी तेजी जारी है।Ó
लगातार बढ़ती महंगाई के पीछे के कारणों के मद्देनजर समीक्षा में कहा गया, '2012-13 की दूसरी तिमाही के दौरान डब्ल्यूपीआई में 28.68 फीसदी भार वाले 19 आवश्यक वस्तुओं के समूहों मुख्य मुद्रास्फीति में 64.38 फीसदी योगदान रहा।Ó आवश्यक वस्तुओं के समूहों में अनाज, खाद्य तेल, सब्जियों जैसे खाद्य पदार्थ और डीजल शामिल है।
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