राजकोषीय घाटे में कमी के संकेत | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली February 27, 2013 | | | | |
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि इस साल राजकोषीय घाटे की गिरावट 0.2 फीसदी तक सीमित रहेगी क्योंकि खर्च से संबंधित उठाए गए कदमों से राजस्व संग्रह में आई कमी की भरपाई हो सकती है। इससे संकेत मिलता है कि गुरुवार को आम बजट में सरकार राजकोषीय घाटा जीडीपी के 5.3 फीसदी के स्तर पर लाने में सक्षम हो सकती है।
इसमें कहा गया है कि सब्सिडी पर होने वाले खर्च पर नियंत्रण वित्तीय एकीकरण के लिए काफी महत्वपूर्ण होगी।
इसमें कहा गया है कि पेट्रोलियम उत्पादों (खास तौर से डीजल व एलपीजी) की देसी कीमतों को र्ईंधन की वैश्विक कीमतों से जोड़े जाने की दरकार है। खर्च-जीडीपी अनुपात में कमी के मुकाबले कर-जीडीपी के उच्च अनुपात से आंशिक तौर पर वित्तीय एकीकरण हासिल करना बेहतर है।
दिसंबर 2012 में पेश छमाही आर्थिक विश्लेषण में राजन ने स्वीकार किया था कि कर संग्रह में कमी, 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी व विनिवेश से मिली रकम के साथ-साथ सब्सिडी के बोझ को देखते हुए 5.3 फीसदी का लक्ष्य हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा। इस साल राजकोषीय घाटा अब तक बजट अनुमान का 78.8 फीसदी रहा है, जो पांच साल के औसत 85.9 व पिछले साल के 92.3 फीसदी के मुकाबले नीचे है। सरकार ने साल 2013-14 में राजकोषीय घाटा 4.8 फीसदी पर लाने का लक्ष्य रखा है और 2016-17 तक इसे 3 फीसदी पर लाने का लक्ष्य है।
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