रेल मंत्री पवन कुमार बंसल कल जब अपना पहला बजट पेश करेंगे तो उनके सामने महज न सिर्फ देश के सबसे बड़े परिवहन नेटवर्क के विकास की समस्या से निपटना होगा बल्कि पर्याप्त राजस्व जुटाने में उसकी बढ़ती विफलता का भी समाधान ढूंढना होगा। उनके पास यात्री किरायों में ज्यादा बढ़ोतरी का भी विकल्प नहीं है क्योंकि पिछले महीने ही वह रेल किराए बढ़ा चुके हैं। रेलवे की ढुलाई से कमाई भी चिंता का सबब बन गई है और तीसरी तिमाही के दौरान इसमें काफी गिरावट आई है। यात्री किराये से अतिरिक्त 6,600 करोड़ रुपये की आमदनी में से करीब 50 फीसदी रकम डीजल कीमतों में बढ़ोतरी की भरपाई में ही खर्च हो जाएगी। 2008-09 में आई आर्थिक मंदी के चरम पर भी रेलवे द्वारा माल-ढुलाई में इतनी गिरावट दर्ज नहीं की गई थी, जितनी इसमें पिछली तिमाही में आई है। इस वर्ष की तीसरी तिमाही के दौरान ढुलाई में पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 3 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। अगर पिछले वित्त वर्ष के दौरान मालभाड़े में दो बार इजाफा नहीं किया गया होता तो रेलवे उससे पिछले वित्त वर्ष से ज्यादा कमाई भी नहीं कर पाता। हालांकि रेलवे के एक वरिष्ठï अधिकारी ने कहा कि अर्थव्यवस्था में मंदी के कारण मालभाड़े से होने वाली कमाई लक्ष्य से 3,000 करोड़ रुपये कम रहने की आशंका है। चालू वित्त वर्ष के दौरान 13 जनवरी तक रेलवे ने 82.7 करोड़ टन माल की ढुलाई की थी लेकिन यह लक्ष्य से 1.1 करोड़ टन कम है। मार्च 2012 में मालभाड़ा बढ़ाने के बाद चालू वित्त वर्ष के दौरान 89,000 करोड़ रुपये की कमाई होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 2011-12 से करीब 30 फीसदी ज्यादा है। इस कदम का असर अनुमान के मुताबिक ही रहा और 13 जनवरी तक माल ढुलाई वित्त वर्ष 2011-12 के मुकाबले महज 4.55 फीसदी बढ़कर 82.7 करोड़ टन रही लेकिन इस दौरान मालभाड़े से होने वाली कमाई 26 फीसदी बढ़कर 70,000 करोड़ रुपये हो गई। हालांकि ढुलाई की औसत दूरी में 3.47 फीसदी की कमी आई। इससे शुद्घ टन प्रति किलोमीटर (एनटीकेएम) में महज 0.96 फीसदी का इजाफा हुआ। विशेषज्ञों का मानना है कि एनटीकेएम ही रेलवे की माल ढुलाई का वास्तविक संकेतक होता है। एनटीकेएम जितना ज्यादा होता है, रेलवे के लिए उतना ही अच्छा होता है क्योंकि इससे पता चलता है कि रेलवे लंबी दूरी के लिए ज्यादा माल ढुलाई कर रहा है। रेलवे की आमदनी बढ़ाने के लिए रेल मंत्री पिछले महीने आखिरी विकल्प अपनाकर यात्री किराए में भी बढ़ोतरी कर चुके हैं, जिससे रेलवे को चालू वित्त वर्ष में अतिरिक्त 1,200 करोड़ रुपये की कमाई होगी। चालू वित्त वर्ष के बजट में घोषित किराया बढ़ोतरी वापस लेने के बाद सरकार ने रेलवे की यात्री किराए से कमाई का बजट अनुमान भी 36,000 करोड़ रुपये से घटाकर 32,000 करोड़ रुपये कर दिया था। ऐसे में बंसल का काम और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है। उन्हें गैर-यात्री प्राप्तियों और उधार पर ज्यादा निर्भर रहना पड़ेगा। आंतरिक संसाधनों से कम आय और सरकार की ओर से मदद में खासा इजाफा नहीं होने के कारण रेलवे की योजनागत परियोजनाओं को झटका लगेगा। आंतरिक संसाधनों में कटौती के कारण रेलवे के 60,100 करोड़ रुपये के लक्षित योजना आकार को घटाकर 52,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। रेलवे के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बताया कि महानगरों की परियोजनाओं के आकार में प्रमुख कटौती की जाएगी।
