पेट्रोलियम सब्सिडी में होगी कमी | शाइन जैकब और ज्योति मुकुल / नई दिल्ली February 21, 2013 | | | | |
चरणबद्घ तरीके से डीजल की कीमतों को नियंत्रणमुक्त किए जाने और रियायती दर पर मिलने वाले रसोई गैस सिलिंडरों की संख्या तय किए जाने की वजह से अगले साल के दौरान पेट्रोलियम सब्सिडी में 40 फीसदी से अधिक की गिरावट आने की संभावना है। हालांकि ये दोनों निर्णय राजनीतिक तौर पर जोखिम से भरे रहे हैं लेकिन भारी राजकोषीय घाटे का सामना कर रही सरकार को इन फैसलों से करीब 60,000 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी।
सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी के खाते में केवल 40,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था जबकि पेट्रोलियम क्षेत्र के लिए सकल सब्सिडी करीब 1,55,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जिसमें से करीब 95,000 करोड़ रुपये का बोझ सरकार को उठाना पड़ सकता है। वर्ष 2011-12 के लिए सरकार ने सब्सिडी के मद में तेल विपणन कंपनियों को 68,481 करोड़ रुपये का भुगतान किया था। इस कटौती का आकलन रुपये की मौजूदा कीमत और इन उत्पादों की मौजूदा कीमतों के आधार पर किया गया है। अधिकारी ने कहा कि रियायती दरों पर मिलने वाले सिलिंडरों की खपत संख्या तय किए जाने की वजह से करीब 7,950 करोड़ रुपये की सब्सिडी कटौती होगी। जहां तक डीजल की बात है तो सरकार ने तेल विपणन कंपनियों से प्रति महीने की डीजल की कीमतों में 50 पैसा प्रति लीटर इजाफा करने और थोक खरीदारों से बाजार मूल्य की वसूली करने के लिए कहा है।
हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (एचपीसीएल) के निदेशक (वित्त) बी मुखर्जी ने कहा, 'सब्सिडी में कटौती कीमतों को बढ़ाने का सबसे बढिय़ा तरीका है।Ó इंडियन ऑयल के एक अधिकारी ने कहा कि इसकी वजह से तीनों सरकारी तेल विपणन कंपनियों के लिए डीजल की बिक्री से होने वाले राजस्व घाटे में करीब 15,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी। 15 फरवरी को डीजल की कीमतों में दूसरी बार इजाफा किया जा चुका है और इस इजाफे के बाद डीजल पर प्रति लीटर राजस्व घाटा कम हो कर 10.27 रुपये हो गया है।
एलपीजी सिलिंडर पर यह प्रति सिलिंडर 481 रुपये है जबकि फरवरी 2013 तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के जरिये बिकने वाले केरोसिन पर यह प्रति लीटर 31.60 रुपया है। सरकार प्रति लीटर डीजल पर सब्सिडी को तय करना चाहती है जैसा कि वित्त मंत्रालय के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने पिछले साल प्रस्तावित किया था।
सब्सिडी बोझ के एक हिस्से का भार उठाने वाली सरकारी कंपनियां चाहती है कि सब्सिडी कटौती से मिलने वाला पूरा लाभ केवल सरकार के खाते में ही नहीं जाना चाहिए। ओएनजीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक सुधीर वासुदेव ने कहा, 'अगर सब्सिडी को नियंत्रित (डीजल के मामले में) किया जाता है तो कटौती का लाभ तेल विपणन कंपनियों को मिलना चाहिए। अगर हम कुल 1,55,000 करोड़ रुपये में से 60,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी का भुगतान कर रहे हैं तो मैं उम्मीद करता हूं कि सब्सिडी नियंत्रण की स्थिति में अनुपात को बरकरार रखा जाएगा।Ó
ओएनजीसी, ऑयल इंडिया और गेल इंडिया के साथ मिलकर तेल विपणन कंपनियों के 55,000 करोड़ रुपये के सब्सिडी बोझ को साझा किया है।
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