खुदरा मुद्रास्फीति लगातार चौथे महीने बढ़कर जनवरी, 2013 में 10.79 फीसदी पर पहुंच गई। पिछले साल दिसंबर में यह 10.56 फीसदी थी।सब्जी, खाद्य तेल, मोटे अनाज और दूध, मांस और ऐसी प्रोटीन वाली खाद्य वस्तुओं के खुदरा दामों के अपेक्षाकृत ऊंचा रहने से मुद्रास्फीति बढ़ी है। पिछले नवंबर और अक्टूबर में यह खुदरा भावों पर आधारित मुद्रास्फीति क्रमश: 9.90 फीसदी और 9.75 फीसदी थी। आज जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुसार जनवरी में सब्जियों के दाम एक साल पहले की तुलना में 26.11 फीसदी ऊंचे रहे। खाद्य तेल व चिकनाई के भाव सालाना आधार पर औसतन 14.98 फीसदी और मांस, मछली और अंडे 13.73 फीसदी तेज रहे।इसी तरह अनाज और दलहन क्रमश: 14.90 फीसदी और 12.76 फीसदी महंगे हुए। चीनी 12.95 प्रतिशत ऊंची रही। कपड़े और जूते चप्पल की कीमतों में भी इस दौरान 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई।शहरी क्षेत्रों के उपभोक्ताओं से संबंधित खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में बढ़कर 10.73 फीसदी हो गई जो पिछले महीने 10.42 फीसदी थी। ग्रामीण आबादी संबंधी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) इसी दौरान बढ़कर 10.88 फीसदी हो गया जो दिसंबर,12 में 10.74 फीसदी थी।थोक बिक्री मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के जनवरी आंकड़े गुरुवार को जारी किए जाने हैं। दिसंबर,12 में थोक बिक्री मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 7.24 फीसदी थी। रिजर्व बैंक पांच से छह फीसदी के अधिक की थोक मूल्य मुद्रास्फीति को सहज स्थिति के विपरीत मानता है।भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लगातार तीन तिमाही तक सख्त नीति अपनाने के बाद पिछले महीने अपने मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में प्रमुख नीतिगत ब्याज दरों में चौथाई (0.25) फीसदी की कटौती की थी और बैंकों की आरक्षित नकदी पर 0.25 फीसदी की ढील दे कर बैंकों के पास 18,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी सुलभ कराने के कदम उठाए थे। इसका उद्देश्य अर्थिक क्रियाओं को गति प्रदान करने में मदद करना है।रिजर्व बैंक का अनुमान है कि इस वर्ष मार्च के अंत तक थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 6.8 फीसदी होगी। निरंतर मुद्रास्फीति को लेकर चिंतित रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2012 के बाद से प्रमुख ब्याज दरों को अपरिवर्तित रखा था जबकि जनवरी 2013 में इसे कम किया।इस बीच औद्योगिक उत्पादन दिसंबर 2012 में 0.6 प्रतिशत कम हो गया जबकि पिछले वर्ष इसी महीने औद्योगिक उत्पादन 2.7 फीसदी बढ़ा था।
