बढ़ती महंगाई को काबू में रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में सीआरआर यानी नकद सुरक्षित अनुपात और रेपो रेट बढा दिया।
केंद्रीय बैंक ने पिछली 29 जुलाई को रेपो रेट में 0.5 प्रतिशत और सीआरआर में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी की, अब दोनों बढ़कर 9 प्रतिशत पर पहुंच गए हैं। स्वाभाविक है कि इसका परिणाम बढ़ी हुई ब्याज दरों के रूप में सामने आना था।
दो सप्ताह बाद भारतीय स्टेट बैंक ने 11 अगस्त को बेंचमार्क प्रधान ब्याज दर (पीएलआर) में 100 आधार अंकों यानी 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर दी। अब स्टेट बैंक का पीएलआर 13.75 प्रतिशत, सेंट्रल बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक आफ बड़ौदा का 14 प्रतिशत, एचडीएफसी का 16.50 प्रतिशत, एक्सिस बैंक का 15.75 प्रतिशत, आईसीआईसीआई कार्पोरेट का 17.20 और रिटेल लोन का पीएलआर 14.25 प्रतिशत हो गया है।
इसका सीधा मतलब यह हुआ कि जो लोग कर्ज लेकर मकान, कार, उपभोक्ता वस्तुएं या कोई भी काम करना चाहते थे, उनको साल भर पहले की तुलना में प्रति 100 रुपये पर करीब 2 रुपये प्रतिवर्ष ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा। वर्तमान मंश हर चीज की कीमतें बढ़ी हुई हैं। स्वाभाविक है कि 12 प्रतिशत की महंगाई दर 13 साल का रिकार्ड है और उसी के मुताबिक फल, सब्जी, आटा, चावल से लेकर विनिर्मित वस्तुएं और खाद्यान्न की कीमतों में बढ़ोतरी ने आम आदमी का बजट खराब कर दिया है।
हालांकि बैंक पूरी कोशिश कर रहे हैं कि आम लोगों को कर्ज मिलता रहे। स्टेट बैंक को ही लें- पीएलआर में बढ़ोतरी के बावजूद बैंक ने 30 लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज दरें न बढ़ाने की घोषणा की है, लेकिन वाहन के लिए कर्ज आधा प्रतिशत महंगा हो गया है। बैंक अपना खाता ठीक करने के वास्ते आम लोगों को पैसे जमा करने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। एसबीआई सहित तमाम बैंकों ने अपनी जमा दरों में भी बढ़ोतरी की है।
कर्ज पर ब्याज बढ़ने का सबसे ज्यादा असर रियलिटी सेक्टर पर पड़ा है। डीएलएफ, शोभा डेवलपर्स, यूनीटेक, पार्श्वनाथ जैसी भारी भरकम रियल एस्टेट कंपनियों के शेयरों के दाम जनवरी 2008 की तुलना में 60-70 प्रतिशत के करीब लुढ़क चुके हैं। इसके अलावा ऑटोमोबाइल सेक्टर में कच्चे माल जैसे, स्टील, एल्युमिनियम आदि की कीमतें बढ़ने का असर था ही, कर्ज महंगा होने से भी उनकी बिक्री पर असर पड़ा है, जो उनकी तिमाही रिपोर्ट में नजर भी आने लगा है।
बड़ी कंपनियां तो ब्याज दरें बढ़ने से परेशान हैं ही, आम आदमी जो कर्ज लेकर आशियाना बसाना चाहता है और किश्तों में उसका भुगतान करना चाहता है, उसके लिए अब यह बहुत कठिन हो चुका है। हालांकि चार्वाक दर्शन को मानने वाले लोगों के लिए कोई परेशानी नहीं है, जिसका कहना है- 'ऋणम कृत्वा घृतम पिवेत, यावत जिवेत सुखम जिवेत। भस्मीभूतस्त देहस्य पुनरागमनम कुत:?' लेकिन अगर कर्ज लेकर वापस करने के बारे में भी सोचा जाए, तो स्वाभाविक है कि आम लोगों के लिए कर्ज लेना मुसीबत का सबब बन चुका है।