सुलझेगा कालीमिर्च डिलिवरी का मुद्दा | दिलीप कुमार झा / मुंबई January 10, 2013 | | | | |
देश का सबसे बड़ा कृषि जिंस बाजार नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) शुक्रवार तक कालीमिर्च डिलिवरी में डिफॉल्ट का मुद्दा सुलझा सकता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने कोच्चि के 6 गोदामों में भंडारित करीब 5,000 टन कालीमिर्च सील कर रखी है। इसी से यह स्थिति पैदा हुई है। प्राधिकरण खाद्य वस्तुओं की गुणवत्ता पर निगरानी रखता है। ये गोदाम एनसीडीईएक्स में पंजीकृत हैं।
एफएसएसएआई को अपनी प्रारंभिक जांच में इन गोदामों से लिए गए कालीमिर्च के नमूनों में प्रतिबंधित पदार्थ मिनरल ऑयल के अंश मिले थे। इसके बाद प्राधिकरण ने बीते 18 दिसंबर को सभी गोदामों को सील कर दिया। तब से यह जांच चल रही है, लेकिन कोई ठोस प्रगति नहीं हुई। जानकार सूत्रों ने बताया कि एक्सचेंज ने अपने अधिकारियों को तिरुवनंतपुरम में प्राधिकरण के पास यह कहने के लिए भेजा है कि वह इस कालीमिर्च के सुरक्षित या असुरक्षित होने के बारे में ऐलान कर दे। इस बीच एक्सचेंज के प्रमुख (कॉरपोरेट सर्विसेज) आनंद कुमार ने कहा है कि एक्सचेंज के पास 20 दिसंबर, 2012 को एक्सपायर हो चुके कालीमिर्च अनुबंधों की कुल ओपन पॉजिशन करीब 29 टन है, जिसकी कीमत करीब 1 करोड़ रुपये है।
इन गोदामों का पूरा माल प्राधिकरण ने सील कर दिया है, इसलिए एक्सचेंज के पास इन पॉजिशन को ओपन रखने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सभी हित पक्षों जैसे खरीदार, विक्रेता, गोदाम मालिक और एक्सचेंज के पास प्राधिकरण के अंतिम फैसले के इंतजार के सिवा कोई चारा नहीं है। इस बीच एक्सचेंज ने 9 जनवरी, 2013 को जारी किए गए अपने सर्कुलर में कालीमिर्च कारोबारियों से कहा कि वे सीधे संबंधित गोदामों से बात करें और डिलिवरी से संबंधित मुद्दों के लिए एक्सचेंज को जिम्मेदार न ठहराएं। सर्कुलर में कहा गया है, 'एक्सचेंज उन जिंसों की गुणवत्ता और तादाद के लिए न जिम्मेदार है और न ही उत्तरदायी होगा जिनकी अंतिम एक्सपायरी तारीख निकल चुकी है और जो पंजीकृत गोदामों में भरी हुई है।'
ट्रेडिंग और क्लीयरिंग सदस्यों और उनके संघटकों से कहा गया है कि वे सभी जिंस जिनकी अंतिम एक्सपायरी तारीख (एफईडी) 5 जनवरी, 2013 को निकल चुकी है और जिनके लिए रिमेट रिक्वेस्ट नंबर्स (आरआरएन) सृजित किए जा चुके हैं और पंजीकृत गोदामों से जिनकी डिलिवरी नहीं हुई है तो ऐसे हितधारकों को सलाह दी जाती है कि वे उस जिंस की संबंधित गोदाम से 25 जनवरी, 2013 से पहले डिलिवरी ले लें। उसने अधिसूचना में कहा है कि ऐसे आरआरएन की पुष्ट होने की प्रक्रिया 25 जनवरी, 2013 से संबंधित गोदाम शुरू करेंगे। यह ध्यान रखा जाए कि गोदाम द्वारा कंफर्मेशन या रिमेट के बाद जिंस की होल्डिंग इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड में नहीं दिखेगी। साथ ही सभी पंजीकृत गोदामों को सलाह दी गई है कि वे संबंधित इलेक्ट्रॉनिक होल्डिंग के लिए उन होल्डरों को वेयरहाउस रिसिट जारी करें, जिन्होंने गोदाम से जिंस नहीं उठाई है।
हितधारक अपनी इलेक्ट्रॉनिक होल्डिंग के लिए भौतिक वेयरहाउस रसीद पाने के लिए गोदामों से संपर्क करेंगे। वेयरहाउस रसीद जारी होने के बाद जो हितधारक जिंस की सीधे डिलिवरी लेना चाहते हैं, उन्हें अपनी पहचान के लिए वेयरहाउस के सामने कुछ दस्तावेज देने होंगे। इनमें मूल रिमेट रिकवेस्ट और डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट्स से मिला तारीख का कंफर्मेशन दिखाना होगा। इससे यह पता लग सकेगा कि हितधारक ने कब तक गोदाम का किराया चुकाया है। दूसरे कुछ दस्तावेज भी मांगे जा सकते हैं। गौरतलब है कि एक्सपायरी तारीख के बाद किसी पंजीकृत गोदाम में भंडारित जिंस संबंधित धारक या गोदाम का निजी मामला होता है। जिंस के भंडारण से संबंधित कोई भी शुल्क या रिमेट कंफर्मेशन की तारीख से अन्य कोई आकस्मिक देनदारी के लिए सीधे संबंधित गोदाम से बातचीत की जाए।
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