बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के चेयरमैन जे हरि नारायण ने कहा कि अप्रैल 2012 में अस्तित्व में आई डिक्लाइंड रिस्क पूल की व्यवस्था को समाप्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सामान्य बीमा कंपनियां इस प्रक्रिया को समाप्त किए जाने की मांग करती रही हैं लेकिन इसे अगले दो सालों तक जारी रखा जाना चाहिए ताकि यह देखा जा सके कि यह व्यवस्था कारगर साबित हुई है या नहीं।
इंश्योरेंस ब्रोकर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईबीएआई) द्वारा आयोजित सम्मेलन से इतर संवाददाताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, 'गैर जीवन बीमा कंपनियां डिक्लाइंड रिस्क पूल और प्राइसिंग व्यवस्था को पूरी तरह से समाप्त कर बाजार आधारित व्यवस्था को अपनाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन इस बारे में हमारी कुछ चिंताएं हैं। यही वजह है कि पिछली बार जब इसे समाप्त किया गया था तो शायद ही किसी निजी बीमा कंपनी द्वारा तीसरे पक्ष को कुछ बेचा हो। यह पूरी तरह से सार्वजनिक सामान्य बीमा कंपनियों के लिए है और इसकी वजह से ही पूलिंग की व्यवस्था शुरू की गई थी।'
बीमा उत्पादों के स्वरूप से जुड़े दिशानिर्देशों के बारे में हरि नारायण ने कहा यह इरडा की 'सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना' है। उन्होंने कहा कि फिलहाल इस पर बीमा सलाहकार समिति विचार कर रही है। हरि नारायण ने कहा कि 9 जनवरी को होने वाली बैठक के दौरान बोर्ड ऑफ अथॉरिटी इसे मंजूर करेगी और इसकी मंजूरी के बाद इसे भारतीय राजपत्र में प्रकाशित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ साथ बैंक बीमा से जुड़े नियमों, निवेश दिशानिर्देशों में संशोधन और माइक्रो बीमा एवं पुनर्बीमा से जुड़े दिशानिर्देशों को उनके कार्यकाल समाप्त होने से पहले पारित कर दिया जाएगा।
किसी कंपनी में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) द्वारा 30 फीसदी तक निवेश किए जाने के सरकार के फैसले के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह फैसला अविवेकपूर्ण है। उन्होंने कहा, 'यह कानूनी व्याख्या का मसला है। एलआईसी इरडा के साथ जुड़ी संस्था है जैसी कि अन्य बीमा कंपनियां इरडा के अधीन है। हालांकि एलआईसी अधिनियम में कुछ प्रावधानों की वजह से सरकार को एलआईसी के लिए अलग से निर्देश जारी करने का अधिकार है। इसलिए यह कानूनी मामला है जहां पर इरडा और कानून मंत्रालय का अपना अलग अलग विचार है।'
हरि नारायण ने कहा कि इरडा में पांचवे सदस्य को नियुक्त किए जाने का प्रावधान है और उन्होंने सदस्य उपभोक्ता सुरक्षा का पद बनाए जाने का सुझाव दिया। हालांकि सरकार ने सदस्य वितरण के पद को सृजित करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, 'यह मुझे बुरी तरह से परेशान करता है क्योंकि पहले से ही हमारे यहां सदस्य जीवन और सदस्य गैर जीवन का पद है जो कि वितरण का मामला देख रहे हैं। मुझे समझ में नहीं आता कि ऐसे में तीसरा सदस्य क्या करेगा।' इरडा इससे पहले सदस्य पेंशन के पद को सृजित किए जाने के बारे में विचार कर रही थी लेकिन पेंशन फंड नियामकीय एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के गठन के बाद उन्होंने इस विचार को त्याग दिया।
हरि नारायण ने कहा कि उन्हें 18 ऐसे उत्पादों की सूची दी गई है जिसे 'यूज ऐंड फाइल' उत्पाद करार दिया जा सकता है। हालांकि बीमा कंपनियों ने इस प्रस्ताव की आलोचना की है। उन्होंने कहा, 'अन्वेषण एक अच्छा विचार है और इसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए लेकिन वहीं दूसरी तरफ इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसे जहरीले उत्पादों को बनाने की स्वतंत्रता से जोड़कर नहीं देखा जा सकता।' इरडा प्रमुख ने बताया कि बीमा अधिनियम में प्रबंधन खर्च की सीमा निर्धारित की गई है। उन्होंने कहा, 'हम कई सारे उपाय कर रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बीमा कंपनियां इन प्रावधानों का पालन करें। अगर वे इन प्रावधानों का पालन भी करते हैं तब भी भारत में होने वाला प्रबंधकीय खर्च मलेशिया, इंगलैंड और ऑस्टे्रलिया जैसी जगहों से ज्यादा रहेगा।'
बैंक बीमा पर सर्वसम्मति से होगा फैसला
बैंक बीमा के मसौदा दिशानिर्देश को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक के आपत्ति उठाए जाने के बीच जे हरि नारायण ने आज कहा कि नियमों पर अंतिम फैसला लिए जाने से पहले सभी के विचारों पर ध्यान दिया जाएगा। आरबीआई की फाइनैंशियल स्टैबलिटी रिपोर्ट के मुताबिक बैंकों को मध्यस्थ की भूमिका देने संबंधी प्रस्ताव से बैंकों की प्रतिष्ठा पर आंच आने का खतरा होगा। उन्होंने कहा, 'हम सभी विचारों पर गौर कर रहे हैं और नियमन को बेहतर करने की कोशिश कर रहे हैं।'
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