बाजार में तेजी पर दांव लगा रहे छोटे निवेशक | निशांत वासुदेवन / मुंबई December 18, 2012 | | | | |
शेयर बाजारों में हाल के महीनों में जो जबरदस्त उछाल देखी गई है, उससे खुदरा कारोबारी जोश में आ गए हैं और शेयर खरीदने के लिए कर्ज लेने से भी नहीं हिचक रहे हैं। वायदा के जरिये आजकल वे शेयरों पर जमकर दांव खेल रहे हैं। ऐसा आम तौर पर तभी होता है, जब बाजार में निवेशकों का भरोसा मजबूत हो जाता है।
छोटी और मझोली कंपनियों के शेयरों में गतिविधि आजकल बढ़ गई है क्योंकि निवेशकों को लग रहा है कि बड़ी कंपनियों के शेयर अपने चरम पर पहुंच चुके हैं और आगे उनमें तेजी आने की गुंजाइश नहीं बची है। विश्लेषकों का कहना है कि खुदरा निवेशक आमतौर पर छोटी और मझोली कंपनियों के शेयरों में रकम लगाते हैं और उनके भाव चढ़ा लेते हैं। जोखिम उठाने में माहिर निवेशक वायदा और विकल्प में दाखिल हो जाते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा मुनाफा हासिल हो सके।
मुंबई की एक रिटेल ब्रोकर फर्म आईसीआईसीआई डायरेक्ट के प्रमुख (डेरिवेटिव्स) अमित गुप्ता कहते हैं, 'ज्यादा जोखिम लेने की कुव्वत रखने वाले खुदरा और रईस निवेशक शेयर वायदा में लिवाली कर रहे हैं क्योंकि उन्हें पूरा भरोसा है कि बाजार में अब और गिरावट नहीं आएगी।' उन्होंने बताया कि इसमें से ज्यादातर रकम मझोली कंपनियों के शेयरों में लगाई गई है।
नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर आज वायदा स्टॉक में कुल लंबित पोजिशन यानी ओपन इंटरेस्ट (ओआई) की संख्या 223.9 करोड़ शेयर थी, जो 2012 में अभी तक का सबसे ज्यादा दैनिक आंकड़ा है। इस साल कभीकभार ही ऐसा मौका आया है, जब शेयर वायदा के ओआई ने 220 करोड़ का आंकड़ा पार किया है क्योंकि ज्यादातर वक्त तक निवेशकों ने निफ्टी के जरिये कम जोखिम वाले विकल्प सौदों में निवेश करना ही बेहतर समझा है। इसकी वजह रही सूचकांक में तेजी के साथ बढ़ता उतारचढ़ाव, जिसने उन्हें कारोबार के अच्छे खासे मौके मुहैया कराए। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों के दौरान बेंचमार्क सूचकांकों में उतार चढ़ाव एक दायरे के भीतर ही सीमित रहा है। इसकी वजह से कारोबारियों को शेयर वायदा में भी मौके नजर आए हैं। ऐंजल ब्रोकिंग के प्रमुख (डेरिवेटिव्स) सिद्घार्थ भामरे कहते हैं, 'पिछले दो हफ्तों से हमारे पास शेयर वायदा के बारे में काफी पूछताछ की गई है। इतनी ज्यादा पूछताछ पहले कभी नहीं की जाती थी। ऐसा इसीलिए हो रहा है क्योंकि सूचकांक बढ़त के दौर से गुजर रहे हैं।'
भामरे मानते हैं कि कई निवेशकों को लग रहा है कि अभी तक वे मौका चूक गए थे और बेंचमार्क सूचकांकों में इस साल आई 20 फीसदी उछाल के हिसाब से अच्छा मुनाफा नहीं कमा सके। इसलिए वे शेयर वायदा में जमकर पैसा लगाना चाहते हैं। भामरे ने कहा, 'उनकी तमन्ना है कि शेयरों में जबरदस्त उछाल आए और उनके हाथ अच्छी रकम आ जाए।'
शेयर वायदा निवेशकों को कम वक्त में सामान्य शेयर कारोबार के मुकाबले काफी ज्यादा मुनाफा कमाने का मौका देता है। दरअसल इसमें उन्हें महज कुछ मार्जिन मनी जमा करनी होती है और उस रकम की 5 गुना कीमत तक के शेयर पर वे दांव खेल सकते हैं। हालांकि इसमें जोखिम भी काफी तगड़ा होता है। इन सौदों में अच्छी खासी सक्रियता देखने को मिल रही है, लेकिन 2007 जैसी हालत अब भी नहीं है, जब निवेशकों ने बाजार के उफान से रकम कमाने के लिए खुल्लमखुल्ला जोखिम उठाया था। हालांकि जनवरी 2008 में जब बाजार बैठा तो उनमें से ज्यादातर निवेशकों का मुनाफा एक ही झटके में धुल गया।
मंझे हुए निवेशक मान रहे हैं कि शेयर वायदा में खुदरा कारोबारियों की आमद का सीधा मतलब है कि बाजार में गिरावट हो सकती है। उनका तर्क है कि खुदरा निवेशक बाजार में तेजी के दौरान आम तौर पर हाथ पर हाथ धरे रहते हैं, लेकिन जिस वक्त बाजार चोटी पर पहुंचता है, उससे ठीक पहले उसमें रकम लगा देते हैं।
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