ठेका कर्मचारियों के समर्थन में उतरे केजरीवाल | बीएस संवाददाता / नई दिल्ली October 22, 2012 | | | | |
जमीन घोटाले और भूमि आवंटन में भ्रष्टाचार के मसले को छोड़कर अब इंडिया अगेंस्ट करप्शन के कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार की नई परिभाषा दी है। उन्होंने मजदूरों, खासकर ठेके पर काम करने वाले कर्मचारियों को अधिकार से वंचित किए जाने को भ्रष्टाचार बताया है। उन्होंने ठेके पर काम कर रहे देश के सभी मजदूरों को एकजुट होकर व्यवस्था के खिलाफ जंग छेडऩे का आह्वान किया, जिसके तहत ठेकेदार और कंपनियां मजदूरों को उनके अधिकारों से वंचित कर रही हैं।
डीईएसयू मजदूर संघ के बैनर तले दिल्ली की 5 बिजली कंपनियों में काम कर रहे करीब 30,000 मजदूरों के धरने में शामिल होते हुए केजरीवाल ने मजदूरों की एकता का आह्वान किया। हालांकि यह संगठन भारतीय मजदूर संघ से जुड़ा है, जिसका संबंध भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से है। लेकिन केजरीवाल ने इसकी परवाह किए बिना कहा कि दिल्ली सरकार और भाजपा दोनों को ही दिल्ली की बिजली कंपनियों में काम कर रहे मजदूरों की खराब स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया।
मजदूर संगठन रिलायंस पावर की कंपनियों, बीएसईएस राजधानी प्राइवेट लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पावर द्वारा हटाए गए ठेके के 187 कर्मचारियों को वापस लिए जाने की मांग कर रहा है। वह कर्मचारियों को बोनस दिए जाने की भी मांग कर रहे हैं, जिनमें से ज्यादातर को न तो न्यूनतम मजदूरी मिल रही है और न ही भविष्य निधि का बकाया। कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी बीमा योजना के तहत स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं मुहैया कराई जाती हैं, जिसके लिए उनसे मासिक धनराशि ली जाती है।
केजरीवाल ने न सिर्फ मजदूरों को मिलने वाली सेवाओं का मसला उठाया, बल्कि मजदूरों के लिए बने कानूनों का कड़ाई से पालन न किए जाने के चलते राज्य की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को भी दोषी ठहराया। केजरीवाल ने आरोप लगाया कि दीक्षित कंपनियों का साथ दे रही हैं और उन्हें कामगारों के हितों की रक्षा न कर पाने के चलते तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने एक एक करके कर्मचारियों को बुलाया और उनके वेतन के बारे में जानकारी मांगी। उसमें एक कर्मचारी कंवर सिंह भी था, जिसने बिजली संयंत्र में एक दुर्घटना में अपनी आवाज गंवा दी थी। उसने इशारों में अपनी बातें कही।
केजरीवाल ने न्यूनतम मजदूरी के कानून की अवहेलना का मसला उठाते हुए कहा कि यहां पहुंचे ज्यादातर मजदूरों को न्यूनतम वेतन नहीं मिल रहा है। प्रदर्शन में शामिल ज्यादातर मजदूरों को 2700 से 3500 रुपये महीने मिलते हैं, जबकि दिल्ली में न्यूनतम मजदूरी 9000 रुपये निर्धारित की गई है। कर्मचारियों ने बिजली कंपनियों को 8 नवंबर के पहले बोनस के भुगतान और हटाए गए कर्मचारियों को वापस लेने की मांग की। प्रदर्शन में बीएसईएस यमुना पावर, बीएसईएस राजधानी पावर, टाटा पावल डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी, दिल्ली ट्रांसको, आईपीजीसीएल और पीपीसीएल के कर्मचारी शामिल हुए। इन कंपनियों में कांग्रेस से जुड़े इंडियन नैशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस सहित कई संगठनों से जुड़े कर्मचारी कार्यरत हैं।
भाजपा से जुड़े जिस संगठन को आज केजरीवाल का समर्थन मिला, उसका कहना है कि वह पूरी तरह स्वतंत्र है और उसका किसी भी दल से जुड़ाव नहीं है। डीईएसयू मजदूर संघ के प्रमुख बलबीर सिंह ने कहा कि बीएमएस गैर राजनीतिक मजदूर संगठन है और भाजपा इसमें कोई रुचि नहीं लेती। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं विजय कुमार मल्होत्रा और जगदीश मुखी से बात करने पर उन्होंने कंपनियों का पक्ष लिया और हमारी कोई मदद नहीं की। सिंह ने कहा कि भाजपा नेताओं ने कंपनियों की प्रशंसा की।
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