खर्च पर चली कैंची तो आवंटन में कटौती | संतोष तिवारी / नई दिल्ली October 14, 2012 | | | | |
मितव्ययिता और खर्च में कटौती की कवायद के तहत केंद्र सरकार अहम योजनाओं को कोष आवंटन में सुस्ती दिखा रही है। इसके चलते विभिन्न अहम योजनाओं, मसलन- सिंचाई और पिछड़े क्षेत्रों में बुनियादी विकास के लिए राज्यों को बजटीय आवंटन की राशि देने में ढिलाई बरती जा रही है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों से स्पष्टï पता चलता है किचालू वित्त वर्ष में 31 अगस्त तक विभिन्न योजनाओं के लिए आवंटित राशि पूरे साल के लिए आवंटन से काफी कम है। 2012-13 के पहले पांच महीनों में त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीपी) और जल संसाधन से जुड़ी अन्य योजनाओं के लिए अब तक 622 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जबकि बजट में इसके लिए 14,242 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
एआईबीपी योजना का मुख्य मकसद जल संसाधन क्षेत्र में बड़ी और बहूद्देश्यीय परियोजनाएं लागू करना है। यह योजना मुख्य रूप से सिंचाई और खाद्य प्रबंधन से जुड़ी हैं। 2007-08 से 2011-12 के दौरान केंद्र सरकार ने राज्यों को इस तरह की सिंचाई से जुड़ी योजनाओं के लिए 38,821 करोड़ रुपये का आवंटन किया है।
पिछड़ा क्षेत्र अनुदान कोष (बीआरजीएफ) के लिए इस साल 31 अगस्त तक 1,135 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया जबकि बजट में इसके लिए 6,990 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। बीआरजीएफ के तहत 27 राज्यों के 272 जिलों को शामिल किया गया है। विशेष योजना सहायता (एसपीए) के तहत किसी तरह का कोष जारी नहीं किया गया है। हालांकि बजट में एसपीए के लिए 6,005 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। जवाहरलाल नेहरू राष्टï्रीय शहरी नवीकरण मिशन के तहत 866 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं जबकि बजट में इसके लिए 5,900 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
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