दिल्ली वर्तमान में भले ही बिलजी संकट के दौर से गुजर रही हो और लोगों को घंटों कटौती का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन आने वाले दौर में राजधानी में बिजली की किल्लत बहुत हद तक दूर हो सकती है।
यही नहीं, अगर योजना पर सही ढंग से काम हुआ, तो बिजली के लिए दिल्ली को अन्य राज्यों का मुंह नहीं ताकना होगा। यह कोई कोरी कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है। दिल्ली सरकार मध्य प्रदेश में करीब 2000 मेगावाट के बिजली संयंत्र लगाने की योजना बना रही है।
इंद्रप्रस्थ पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड के तकनीकी निदेशक विनय कुमार ने बताया कि दिल्ली और हरियाणा सरकार को मध्य प्रदेश के मारा टू महान कोयला खान का पट्टा मिला है। जहां कोयला आधारित बिजली संयंत्र लगाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि अभी इस बारे में बातचीत प्रारंभिक स्तर पर है और इसकी स्टडी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
उन्होंने बताया कि अगर योजना हकीकत की धरातल पर उतरता है, तो दिल्ली की बिजली संकट काफी हद तक दूर हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश में प्रस्तावित बिजली संयंत्र को राजघाट पावर प्लांट और आईपी पावर प्लांट के विकल्प के तौर पर भी देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि कोयले से चलने वाले इस संयंत्र को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से नवीनीकरण के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है और इन दोनों संयंत्रों को 2010 तक बंद करने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि राजघाट पावर प्लांट 247 मेगावाट और आईपी पावर प्लांट से 135 मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। कुमार ने बताया कि अभी इस योजना पर स्पष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है कि यह कितने मेगावाट क्षमता वाला होगा, क्योंकि पहले कोयले की मात्रा का पता लगाया जाएगा। उसके बाद यह भी तय करना होगा कि इसमें हरियाण सरकार की कितनी हिस्सेदारी होगी। दिल्ली में 750 मेगावाट के बामनौली संयंत्र और 1500 मेगावाट के बवाना संयंत्र पर काम चल रहा है, वहीं दिल्ली के समीप हरियाणा के झार इलाके में 1500 मेगावाट बिजली संयंत्र लगाया जा रहा है।
वैसे तो, इन संयंत्रों को 2010 में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है, ताकि खेलों के दौरान बिजली की किल्लत का सामना न करना पड़े। लेकिन काम की रफ्तार को देखते हुए कहना थोड़ा कठिन है कि ये संयंत्र तय समय में पूरे हो पाएंगे।
जहां तक बवाना संयंत्र की बात है, तो करीब चार माह पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दिल्ली की मुख्यमंत्री ने शीला दीक्षित ने संयंत्र का शिलान्यास किया था, लेकिन अब तक यहां काम गति नहीं पकड़ सकता है। हां, झार संयंत्र में जरूर तेजी से काम हो रहा है और इसके तय समय में पूरा होने के आसार हैं। वैसे, अधिकारियों का कहना है कि बवाना संयंत्र भी तय समय में पूरा कर लिया जाएगा।