खनिज निकालने वाली बड़ी सरकारी कंपनी राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) लिमिटेड को छत्तीसगढ़ में 40 लाख टन की अपनी एकीकृत इस्पात संयंत्र परियोजना पर अब अकेले ही काम करना पड़ेगा। इस्पात मंत्रालय ने इस परियोजना में एनएमडीसी की साझेदार कंपनियों भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड (सेल) और राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) को अपने हाथ खींचने का निर्देश दिया है।
इस्पात मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकरी ने बताया, 'हमने सेल से इस साझे उद्यम से बाहर आ जाने को कहा है क्योंकि फिलहाल वह अपनी क्षमता में विस्तार कर रही है। हम नहीं चाहते कि इस काम में कोई भी अड़चन आए। सेल का क्षमता विस्तार कार्यक्रम 2010 में पूरा हो पाएगा। हमने कंपनी को ताकीद की है कि इस काम में किसी भी तरह की ढिलाई नहीं बरती जाए।' इस परियोजना के लिए सेल, एनएमडीसी और आरआईएनएल ने 17 अगस्त 2007 सहमति पत्र पर दस्तखत किए थे। इस करार के मुताबिक तीनों कंपनियां किसी सलाहकार की संभाव्यता रिपोर्ट के आधार पर उचित स्थान पर संयंत्र लगाने के लिए राजी हो गई थीं।
इस्पात के मामले में विशेषज्ञ सेल को इस साझा उपक्रम के लिए संभाव्यता रिपोर्ट बनाने का काम सौंपा गया। यह काम बाद में मेकॉन के जिम्मे आया। खनन के काम में महारत रखने वाली एनएमडीसी को संयंत्र के लिए जमीन हासिल करने, किराए पर खदान प्राप्त करने और जरूरी कानूनी मंजूरियां लाने का काम दिया गया। करार के मुताबिक संयंत्र निर्माण का जिम्मा आरआईएनएल का था। अधिकारी ने बताया कि 'आरआईएनएल को साझे उद्यम से बाहर निकलने को इसलिए कहा गया, क्योंकि यह नवरत्न कंपनी नहीं है और शेयरधारण की इस व्यवस्था से कंपनी को कोई फायदा नहीं पहुंचना था। इसी के साथ यह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी 8 हजार करोड़ रुपये से अधिक लागत के साथ ही अपने विस्तार में जुड़ने वाली है।'
यह तो स्पष्ट हो गया कि सेल इस साझे उद्यम में से अपनी इच्छा से बाहर निकलना चाहती है। लेकिन अभी यह साफ होना बाकी है कि एनएमडीसी किस तरह इस संयंत्र के निर्माण कार्य से लेकर खनन और इस्पात के उत्पादन तक का कार्यभार संभालेगी। फिलहाल कंपनी देश की सबसे बड़ी खनन कंपनी है, जो छत्तीसगढ़ की बैलाडिला और कर्नाटक की डोनीमलाई खदानों में से 2 करोड़ 70 लाख टन अयस्क निकालती है। जनवरी में एनएमडीसी को नवरत्न का दर्जा प्राप्त हुआ था। कंपनी अपनी उत्पादन क्षमता को 5 करोड़ टन तक विस्तार करने के लिए 18 हजार करोड़ रुपये निवेश करेगी। इसी के साथ कंपनी अगले 5 वर्षों में नए अन्वेषण कार्य भी करेगी। कंपनी कर्नाटक के डोनीमलाई में 1 करोड़ टन क्षमता वाले दो नए संयंत्र भी लगाने वाली है, जिसमें 700 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।
एनएमडीसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक राणा सोम का कहना है, 'इस साल एनएमडीसी लगभग 3.10 लाख टन लौह अयस्क का उत्पादन करेगी। साथ में देश के भीतर और बाहर दोनों में खदानों को हासिल करेगी। इसी के साथ एनएमडीसी वैश्विक कंपनी बन जाएगी।'नवरत्न का दर्जा हासिल करने के बाद उम्मीद है कि इस सरकारी कंपनी को घरेलू और अंतरराष्टीय कारोबार चलाने के वास्ते अच्छी-खासी वित्तीय और प्रबंधकीय स्वायतता प्राप्त हो जाएगी। इससे कंपनी भारत और विदेशों में बिना सरकारी अनुमति के 15 प्रतिशत वाले साझे उद्यम बना लेगी। इस साझे उद्यम की शुध्द परिसंपत्ति लगभग 1 हजार करोड़ रुपये होगी।
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