भारत में दुपहिया वाहनों का बाजार बड़ा और तेजी से बढ़ता हुआ है। इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में पहले से ही कई खिलाड़ी पैर जमाए हुए हैं। इसमें होंडा और सुजुकी जैसे बड़े खिलाड़ी भी शामिल हैं।
ऐसे हालातों में यह समझना मुश्किल है महिंद्रा और महिंद्रा इस सेगमेंट में क्यों प्रवेश करना चाहता है? यहां तक कि बाजार में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले हीरों होंडा को भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
वित्त्तीय वर्ष 2008 में देश भर में 57 लाख दुपहिया वाहनों की बिक्री हुई जो पिछले साल की बिक्री 65 लाख से 12 फीसदी कम है। हालांकि कंपनी की यह रणनीति हो सकती है कि वह अपने पोर्टफोलियो में दुपहिया वाहनों को भी शामिल करना चाहती हो। महिंद्रा एंड महिंद्रा सामान्यत: बहुपयोगी वाहनों, ट्रक, कार, ट्रैक्टर और उनके कंपोनेंट का निर्माण करती है।
यहां कंपनी को यह निश्चित करना होगा कि वह बाजार की उपयोगिता की दृष्टि से वाहनों का निर्माण कर पाए। कंपनी का प्रबंधन उच्च मार्जिन वाले मोटरसाइकिल सेगमेंट में प्रवेश करना चाहता है। यह कंपनी के लिए दुपहिया बाजार में प्रवेश करने की बेहतर रणनीति होगी। यहां यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि काइनेटिक के पास लोकप्रिय पोर्टफोलियो नहीं था और ऐसी हालत में कंपनी का उसमें 110 करोड का निवेश करना एक बड़ा कदम कहा जाएगा।
महिंद्रा एंड महिंद्रा प्रोडक्ट, ब्रांड और डिस्ट्रीब्यूशन के लिए काइनेटिक में 110 करोड़ का निवेश कर रहा है। हालांकि इस निवेश के नतीजे आने में अभी समय लग सकता है। पंजाब ट्रैक्टर का महिंद्रा और महिंद्रा में तीन और एक के अनुपात में विलय से कंपनी के शेयरधारकों को फायदा पहुंचा है। जबकि घोषणा के पहले महिंद्रा और महिंद्रा के एक शेयर का मूल्य पंजाब ट्रैक्टर के शेयरों के 2.3 गुना के बराबर था। इस विलय से न तो आय पर असर पड़ेगा और न ही हिस्सेदारी में कमी आएगी। इस विलय से परिचालन और अन्य खर्चों में जरूर कमी आएगी।
महिंद्रा और महिंद्रा का घरेलू ट्रैक्टर बाजार सालाना आधार पर 11.5 फीसदी की गति से बढ़ा है। कंपनी ने ट्रैक्टर बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति बनाए रखी है। कंपनी की बाजार में 33 फीसदी की हिस्सेदारी है। प्रतियोगी के बढ़ने और ऊंची ब्याज दरों की वजह से कंपनी के वॉल्यूम में कमी आ सकती है। कंपनी के यूटीलिटी सेगमेंट की बिक्री में जून की तिमाही में 21.6 फीसदी का सुधार देखा गया। कंपनी के बोलेरो और स्कार्पियो की बिक्री से कुल बिक्री में 26 फीसदी का सुधार हासिल किया और कंपनी की कुल बिक्री 3,293 करोड़ पर पहुंच गई।
हालांकि अप्रैल और मई में हुई बेहतर बिक्री के बाद कंपनी की बिक्री में जून में कमी देखी गई। कंपनी की बिक्री में सालाना आधार पर 29 फीसदी का सुधार देखा गया। हालांकि कंपनी के ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन में 0.7 फीसदी की कमी देखी गई और यह 9.9 फीसदी के स्तर पर आ गया। लागत बढ़ने के बावजूद कंपनी ने ऑपरेटिंग प्रॉफिट मार्जिन को बरकरार रखा। इसकी वजह यह रही कि कंपनी ने अपने वाहनों की सभी कैटेगरी के दामों में 1.5 से 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी की।
कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 17 फीसदी ज्यादा रहा। इसके बावजूद भी कि मांग में कमी देखी गई। महिंद्रा और महिंद्रा ने आगे कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है। महिंद्रा और महिंद्रा को इस वित्त्तीय वर्ष में 12,500 करोड़ का राजस्व प्राप्त होने की संभावना है और कंपनी इस वित्त्तीय वर्ष में 950 करोड़ का लाभ कमा सकती है। मौजूदा बाजार मूल्य 520 रुपए पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से सात गुना के स्तर पर हो रहा है।