देसी फर्मों की फे सबुक दास्तां | |
मालिनी भुप्ता और मेहुल शाह / मुंबई 06 11, 2012 | | | | |
वॉल स्ट्रीट पर फेसबुक के आईपीओ की पिटाई के बाद भारतीय कंपनियों के निवेशकों को भी अपने दिन एक बार फिर से याद आ गए। पिछले पांच सालों में भारतीय शेयर बाजार ऐसे कई आईपीओ का गवाह रहा है जिन्हें लेकर चर्चा तो जोर-शोर से हुई , मगर सूचीबद्घ होते ही वे औंधे मुंह गिर पड़े और उनके भाव वापस कभी चढ़ नहीं पाए।
अप्रैल 2007 के बाद से 1,000 करोड़ रुपये से ऊपर के 20 आईपीओ के विश्लेषण से पता चलता है कि करीब छह कंपनियों- रिलायंस पावर, जेपी इन्फ्राटेक, इंडियाबुल्स पावर, डी बी रियल्टी, एलऐंडटी फाइनैंस होल्डिंग्स और एसजेवीएन के शेयर कभी भी अपने आईपीओ मूल्य से ऊपर बंद नहीं हो पाए। एसजेवीएन को छोड़ दें तो बाकी पांच कंपनियों के शेयरों का प्रदर्शन तो उनके बेंचमार्क सूचकांकों से भी कमजोर रहा है।
निवेशकों के विरोध के बाद रिलायंस पावर ने हालात को संभालने के लिए बोनस शेयर जारी किए फिर भी कंपनी के शेयर भाव निर्गम मूल्य से नीचे कारोबार कर रहे हैं। एक हजार करोड़ रुपये के इन 20 आईपीओ में से 14 अपने निर्गम मूल्य से नीचे कारोबार कर रहे हैं। बाजार में तेजी के रुख की वजह से ये निर्गम मूल्य से ऊपर सूचीबद्घ तो हुए लेकिन कुछ ही दिन बाद इनके भाव नीचे आ गए।
कंपनी के मुनाफे की जानकारी कुछ गिने चुने लोगों तक सीमित रखने के लिए फेसबुक के निवेशकों ने तो कंपनी और मर्चेंट बैंकरों पर मुकदमा ठोक दिया है, मगर भारत में शेयरधारक इस तरह का कदम उठाने से बचते रहे हैं। इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज के संस्थापक और एममडी का मानना है कि इन सबके लिए मर्चेंट बैंकरों और प्रवर्तकों पर दोष मढऩा तो आसान है लेकिन निवेशकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे निवेश से पहले अच्छी तरह से जांच पड़ताल कर लें।' ऐसे कई उदाहरण हैं जहां कंपनियां उन कारोबार के लिए प्रीमियम मूल्य पर आईपीओ लाती हैं जिनकी उस समय रूपरेखा ही तैयार की जा रही होती है। ऐसे मामलों में कंपनियां मुनाफा कमाएं और रिटर्न देना शुरू करें, इसके लिए निवेशकों को कई साल इंतजार करना पड़ता है। निर्मल बांग सिक्योरिटीज के प्रमुख मेहराबून ईरानी के मुताबिक, 'ऊर्जा, बुनियादी ढांचा और रियल एस्टेट जैसे क्षेत्रों में पैसा लगाने वाले निवेशकों को ध्यान में रखना चाहिए कि ऐसी परियोजनाओं में काफी पैसा और वक्त लगता है।'
जानकारों का मानना है कि मार्केटिंग रणनीति की वजह से कई दफा इश्यू काफी अधिक सबस्क्राइब हो जाते हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन यू के सिन्हा ने बीते शुक्रवार को मुंबई में कहा था कि ऐसे कई इश्यू हैं जिनकी कीमत आईपीओ के बाद घट गई हैं। निवेशक पूरी सूचना के बाद ही आईपीओ में पैसा लगाएं, इसके लिए सेबी ने मर्चेंट बैंकरों को अनिवार्य रूप से उन इश्यू के पुराने रिकॉर्ड की जानकारी देने को कहा था जिनका वे प्रबंधन करते हैं।
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