उत्पादक क्षेत्रों में अपर्याप्त बारिश की खबरों के बीच हाजिर बाजार में सीमित आपूर्ति के चलते मंगलवार के शुरुआती कारोबार के दौरान हल्दी की कीमत रेकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गयी।
जानकारों के मुताबिक, कीमतें बढ़ने के पीछे कम बारिश के चलते मौजूदा वित्तीय वर्ष में हल्दी के रकबे में कमी होने का भय है। अगस्त में डिलिवर होने वाले हल्दी के वायदा भाव ने आज 4,723 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर को छू लिया, पर बाद में इसमें थोड़ी गिरावट हुई।
फिर भी यह कल की तुलना में 1.27 फीसदी बढ़कर 4,710 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। इसी प्रकार अक्टूबर डिलिवरी वाले अनुबंध में एक फीसदी की वृद्धि देखी गई और यह 4,948 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। आंध्र प्रदेश, जो हल्दी का मुख्य उत्पादक राज्य में भी हल्दी की कीमत में 23 रुपये की मजबूती हुई और यह 4,362 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। कार्वी कॉमट्रेड के जी. हरीश ने एजेंसी को बताया कि हल्दी के बड़े उत्पादक राज्यों में से एक आंध्र प्रदेश में कम बारिश होने से इसकी कीमतों पर असर पड़ा है।
जीरा
जीरे की कीमत पर भी उत्पादक क्षेत्रों में कम बारिश की खबर और निर्यात मांग में वृद्धि होने का असर दिखा और इसकी कीमत में 0.7 फीसदी की वृद्धि हुई। एनसीडीईएक्स में मंगलवार को जुलाई डिलीवरी वाले जीरे का भाव 0.7 फीसदी चढ़कर 12,549 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया।
वहीं सबसे ज्यादा सक्रिय सितंबर डिलीवरी वाले जीरे का भाव 0.69 फीसदी चढ़कर 13,310 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। बाद में इसमें कुछ गिरावट आयी और यह 13,275 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। देश में जीरे की सबसे बड़ी हाजिर मंडी ऊंझा में कीमत में 0.9 फीसदी की तेजी दर्ज की गई।
यहां एक क्विंटल जीरे का भाव 12,308 रुपये रहा। कारोबारियों का कहना है कि सीरिया और तुर्की जैसे देशों में जीरे का उत्पादन घटने की खबर से निर्यात की मांग में तेजी देखी गई है जिससे घरेलू बाजार में जीरे का भाव बढ़ रहा है। मालूम हो कि चालू वित्त वर्ष के प्रथम दो महीनों में जीरे का निर्यात बढ़कर 6,500 टन पर पहुंच गया जबकि एक साल पहले की समान अवधि में जीरे का निर्यात महज 2,180 टन था। उल्लेखनीय है कि भारत विश्व का सबसे बड़ा जीरा उत्पादक और निर्यातक देश है।
काली मिर्च
मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में कम बारिश का असर तो काली मिर्च के भाव पर भी दिखा। कम आवक के चलते बाजार में इसके भाव में मजबूती देखी गई। सूचना मिली है कि देश में काली मिर्च का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले केरल में 1 जून से 9 जुलाई के बीच दीर्घकालिक औसत की तुलना में 39 फीसदी कम बारिश हुई है। अगस्त अनुबंध के बेंचमार्क भाव में 0.33 फीसदी की तेजी आई और यह 14,345 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया।
मिर्च
हाजिर बाजार में गुणवत्तायुक्त मिर्च की कमी के बीच निर्यात मांग में जबरदस्त तेजी आने से मिर्च के अगस्त अनुबंध का वायदा भाव 0.72 फीसदी की तेजी के साथ 5,610 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। देश की सबसे बड़ी मिर्च मंडी गुंटूर का हाल यह रहा कि यहां मिर्च का हाजिर भाव 34 रुपये की तेजी के साथ 5,027 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा वित्तीय वर्ष के शुरूआती दो महीनों में जीरे के निर्यात में 21 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है और यह 50 हजार टन को छू चुका है।
ग्वार
मंगलवार को देश के वायदा बाजारों में ग्वार की कीमतों में भी तेजी दिखी। जानकारों ने बताया कि अमेरिका और चीन को होने वाले निर्यात की मांग में हुई तेजी का असर इसके मूल्यों पर दिखा है। ग्वार के मुख्य हाजिर बाजार बीकानेर में इसके भाव में 16 रुपये की वृद्धि हुई और यह 1,876 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। श्रीगंगानगर के एक निर्यातक ने बताया कि अगस्त के मध्य तक निर्यात होने वाले 30 हजार टन ग्वार गम की बुकिंग हो चुकी है। ग्वार गम का इस्तेमाल कच्चे तेल की खुदाई के दौरान होता है। पिछले साल देश से तकरीबन 2 लाख टन ग्वार गम का निर्यात किया गया था।