बाजार की मंदी का दबाव अब छोटे शेयर दलालों पर साफ नजर आने लगा है। बाजार में कई ऐसे छोटे ब्रोकिंग हाउस और सब-ब्रोकर हैं, शेयर कारोबार(ट्रांजैक्शन) से मिलने वाला कमीशन ही जिनकी आय का प्रमुख सोर्स है।
ऐसे ब्रोकरों ने अब अपनी दुकान बढ़ानी शुरू कर दी है। मंदी केबाद निवेशकों और ट्रेड करने वालों की संख्या बहुत गिर चुकी है और ऐसे में ग्राहकों के ट्रेडिंग कमीशन पर टिका यह धंधा फिलहाल उन्हें मुफीद नहीं लग रहा है।
गेल्ड स्टॉक ब्रोकिंग लि., साइरस आर वजीफदार और गायत्री कैपिटल जैसे छोटे ब्रोकरों ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में अपनी सदस्यता पहले ही सरेन्डर कर दी है और मुंबई के स्काइस ऐंड रे इक्विटीस के कम से कम छह सब-ब्रोकरों ने अपना रजिस्ट्रेशन सरेंडर कर दिया है। जिन सब-ब्रोकरों ने अपना रजिस्ट्रेशन सरेंडर किया है, उनमें मुंबई के रचित फाइनेंशियल सर्विसेज, विजय सावंत, पुणे के सरबजीत सिंह, जहांगीयादार, कराड के पीएस इन्वेस्टमेंट्स, सूरत के जिनेश कुमार पटेल और सी मोर कंसल्टेंसी प्रा. लि. हैं।
स्काइस ऐंड रे के प्रवक्ता के मुताबिक देश भर में उनके करीब 350 सब-ब्रोकर थे, और ट्रेडिंग लाइसेंस सरेंडर करने का फैसला सब-ब्रोकरों का अपना है और कमजोर बाजार में ऐसा होता है लेकिन इससे हमारे कारोबार पर असर नहीं पड़ेगा। फर्म की वेबसाइट में दी जानकारी के मुताबिक यह फर्म दो साझेदार योगेश गुप्ता और अनूप गुप्ता ने मिलकर शुरू की है जिनकी रिटेल ब्रोकिंग कारोबार में विशेषज्ञता है और फर्म का टर्नओवर 45,000 करोड़ रुपए का है। इसका विस्तार करीब एक सौ केंद्रों में है। वेबसाइट के मुताबिक वह आर्बिट्राज के कारोबार में भी है।
इस फर्म की जानकारी तब हुई जब इसने एक बड़े फाइनेंशियल अखबार में विज्ञापन दिया। बाजार के जानकारों का कहना है कि कई और सब-ब्रोकर भी अपना लाइसेंस सरेन्डर कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक कुछ बड़े ब्रोकिंग हाउसों को भी अब फ्रैंचाइजी ढूंढने में दिक्कत हो रही है। छोटे ब्रोकरों की सारी कमाई अपने ग्राहकों के शेयर सौदों से मिलने वाले कमीशन से ही होती है। यह कमीशन 50 पैसे से एक रुपए प्रति शेयर के बीच होता है। इसमें से सब-ब्रोकरों को 20 से 30 पैसे प्रति शेयर मिलते हैं। बीएसई और एनएसई का रोजाना का औसत ट्रेडिंग वॉल्यूम देखें तो यह पिछले कुछ महीनों में ही घटकर आधा हो गया है।
इसके अलावा फ्रंटलाइन स्टॉक यानी बड़ी कंपनियों के शेयरों की वैल्यू भी इस दौरान आधी रह गयी है। इससे निवेशकों का बाजार पर भरोसा टूट सा गया है और कई निवेशक बाजार में फंस गए हैं। जनवरी से अब तक दोनों ही सूचकांक करीब 35 फीसदी तक करेक्ट हो चुकेहैं। इस बीच कुछ बड़े ब्रोकर डेट प्लेसमेंट और वित्तीय बाजार के दूसरे सेगमेंटों में डाइवर्सिफाई कर अपनी दुकान चलाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।