सीईएससी का शांघाई इलेक्ट्रिक से करार | बीएस संवाददाता / कोलकाता, September 14, 2011 | | | | |
आरपी-संजीव गोयनका समूह की कंपनी सीईएससी लिमिटेड ने परस्पर रणनीतिक सहयोग के लिए शांघाई इलेक्ट्रिक समूह के साथ दीर्घकालिक करार किया है।
समझौते के तहत दोनों कंपनियां भविष्य में अल्ट्रा मेगा परियोजनाएं, कोयला आधारित परियोजनाएं और पवन ऊर्जा परियोजनाएं स्थापित करने की संभावनाओं को खंगालेंगे। आरपी-संजीव गोयनका समूह के चेयरमैन और सीईएससी के वाइस चेयरमैन संजीव गोयनका ने कहा, 'भविष्य में ऐसा संयुक्त उपक्रम के माध्यम से भी किया जा सकता है।' इस बीच सीईएससी के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी हल्दिया एनर्जी ने अनुमानित 1,000 करोड़ रुपये लागत वाली 600 मेगावॉट क्षमता की हल्दिया तापीय बिजली परियोजना के वास्ते बॉयलर, टरबाइन और जेनरेटर की आपूर्ति के लिए एक करार पर दस्तखत किए हैं।
ऐसा पहली बार है जब एक भारतीय कंपनी ने बिजली उपकरण बनाने वाली किसी किसी चीनी कंपनी के साथ रणनीतिक करार किया है। गोयनका के मुताबिक यह एक 'व्यापक विस्तार वाला पारिस्परिक सहयोग करार' है। इसके माध्यम से दोनों कंपनियां भारतीय बाजार में संभावनाओं की तलाश करेंगी।
14 साल पहले भारतीय बाजार में प्रवेश करने वाली कंपनी के पास फिलहाल लगभग 22,000 मेगावॉट के 14 ठेके हैं। शांघाई इलेक्ट्रिक पावर जेनरेशन ग्रुप के वाइस प्रेसीडेंट झू डेनियान ने कहा, 'यह दोनों ही कंपनियों के लिए फायदेमंद करार है। हम स्थानीय कंपनियों की तुलना में सस्ते कलपुर्जों की आपूर्ति और अच्छी सेवाएं देने में कामयाब रहेंगे, क्योंकि हमें पवन, सौर, गैस और जलविद्युत परियोजनाओं में विशेषज्ञता हासिल है।'
चीनी कंपनियां पहले ही यहां सहायक कंपनी स्थापित करने के लिए भारत सरकार के समक्ष आवेदन कर चुकी हैं। डेनियान ने कहा, 'दूसरे चरण में हम देश में बिजली परियोजनाओं के लिए संयुक्त उपक्रम के साझेदारों की तलाश करेंगे।'
गोयनका ने कहा कि 600 मेगावॉट की हल्दिया परियोजना के 3,200 करोड़ रुपये के पहले चरण के लिए पहले ही काम चालू हो चुका है। इसके वर्ष 2014 तक चालू हो जाने का अनुमान है। शंघाई इलेक्ट्रिक महाराष्ट्र में चंदरपुर बिजली परियोजना के लिए बीटीजी की आपूर्ति कर रही है, जहां धारीवाल इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीईएससी की अन्य सहायक कंपनी) 600 मेगावॉट की कोयला आधारित तापीय बिजली परियोजना लगा रही है।
गौरतलब है कि भारत में ऊर्जा क्षेत्र में भारी संभावनाओं को देखते हुए तमाम चीनी कंपनियां यहां का रुख कर रही हैं।
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