बीजों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए आईसीएआर की नई पहल | |
बीएस संवाददाता / मुंबई 07 19, 2011 | | | | |
खाद्य सुरक्षा की बढ़ती चिंताओं के बीच बेहतर बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने की जरूरत को देखते हुए प्रमुख कृषि शोध संस्थान आईसीएआर ने किसानों को बीज रखने और बुवाई से पहले उसका उपयुक्त उपचार करने के प्रति जागरूक करने की पहल की है।
इसी तरह के एक सुझाव में बीजों को अच्छी तरह सुखा कर घनी बुनाई वाली प्लास्टिक की ऐसी बोरियों में रखने का सुझाव दिया है, जो लैमिनेटेड न हो। इससे अंकुरण बेहतर होता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की एक विज्ञप्ति में बताया है कि उसके अंतर्गत आने वाले मऊ स्थित बीज अनुसंधान निदेशालय ने किसानों को बीज के भंडारण और संरक्षण के बारे में सलाह दी है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि मूंगफली, लोबिया, संकर धान और संकर मक्का का एक सीजन के लिए भंडारण करने के लिए घनी बुनाई वाले ऐसी प्लास्टिक की थैलियों को इस्तेमाल में लाना चाहिए जो लैमिनेटेड न हो। बीज अनुसंधान निदेशालय, मऊ द्वारा 2009-10 में अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान कार्यक्रम के अंतर्गत 1,15,866.81 क्विंटल ब्रीडर बीजों का उत्पादन किया गया।
संस्था ने किसानों को केवल एक साल पुराने धान के बीज के इस्तेमाल की सलाह दी है। एक साल पुराने बीज को 20 एमएम पोटेशियम नाइट्रेट के साथ 12 घंटे तक प्राइमिंग करने से अंकुरण का स्तर 78 से बढ़कर 85 प्रतिशत तक पहुंच जाता है। भारत में लगभग 70 प्रतिशत बीज ऐसे होते हैं जो किसानों द्वारा ही तैयार किए जाते हैं।
सिर्फ पांच प्रतिशत बीज ही अनुसंधान पर आधारित संकर बीज होते हैं। इसके बावजूद संकर बीजों का घरेलू बाजार 4.9 अरब रुपये वार्षिक का है जिसमें 10 प्रतिशत की दर से सालाना वृद्धि हो रही है जबकि विश्व बाजार में वृद्धि दर मात्र पांच प्रतिशत है। इस समय भारत की विश्व बीज बाजार में 3.7 प्रतिशत की ही हिस्सेदारी है।
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