लाभांश से भर गई झोली | बी जी शिरसाठ और अशोक दिवासे / मुंबई July 08, 2011 | | | | |
भारत के उद्योग जगत ने इस साल दिल खोलकर शेयरधारकों को लाभांश बांटा। वित्त वर्ष 2010-11 में शेयरधारकों को दिए जाने वाला लाभांश का आंकड़ा 88,379 करोड़ रुपये के साथ नई ऊंचाई पर पहुंच गया। लाभांश देने वाली 1,099 कंपनियों द्वारा दिए जाने वाले लाभांश भुगतान में 14.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जो शुद्ध मुनाफे में 17.5 फीसदी की बढ़ोत्तरी की तुलना में कम है।
वहीं, अगर प्रतिशत में बात करें तो शुद्ध मुनाफे की तुलना में दिया गया लाभांश बीते साल के समान 25.55 फीसदी ही रहा। कंपनियों द्वारा दिखाई गई इस उदारता का फायदा खुद प्रवर्तकों को भी मिला। 2011 में निजी क्षेत्र के भारतीय प्रवर्तकों को 17,361 करोड़ रुपये मिले, जो बीते साल की तुलना में कुछ ज्यादा रकम थी।
3 प्रवर्तकों को 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रकम मिली। अपने परिवार और निजी स्वामित्व वाली कंपनियों के माध्यम से रिलायंस इंडस्ट्रीज के 41.96 फीसदी के हिस्सेदार मुकेश अंबानी को शेयर लाभांश के रूप में 1,095 करोड़ रुपये मिले। देश की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल कंपनी हीरो होंडा में 52.21 फीसदी हिस्सेदार ब्रजमोहन लाल मुंजाल और उनके परिवार की संपत्ति में 1,095 करोड़ रुपये का और इजाफा हो गया। विप्रो में अपने परिवार के एक ट्रस्ट के माध्यम से 79.28 फीसदी के हिस्सेदार अजीम प्रेमजी को 1,168 करोड़ रुपये मिले।
सन टीवी के प्रवर्तक कलानिधि मारन, जिन पर कंपनी की 77 फीसदी हिस्सेदारी है, को 266 करोड़ रुपये मिले। इसके अलावा इन्फोसिस टेक्नोलॉजीज के प्रवर्ततकों में शामिल नारायण मूर्ति और उनके परिवार को 154 करोड़, नंदन नीलेकणी और परिवार को 118 करोड़ रुपये, एस गोपालकृष्णन और परिवार को 117 करोड़ रुपये, एस डी शिबूलाल को 61 करोड़ रुपये व के दिनेश और परिवार को 86 करोड़ रुपये मिले। निवेशक राकेश झुनझुनवाला को हिस्सेदारी वाली 16 कंपनियों की ओर से 38 करोड़ मिले। सूचीबद्ध बैंकों और अन्य पीएसयू में भारी हिस्सेदारी रखने वाली भारत सरकार को 5,856 करोड़ रुपये मिले, जबकि वर्ष 2009-10 में 1,714 करोड़ रुपये ही मिले थे। बकायों की समस्या से जूझ रहीं सूचीबद्ध तेल एवं गैस कंपनियों ने 8,690 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
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