रियल एस्टेट क्षेत्र की कई दिग्गज कंपनियों पर मंदी की मार पड़ने से तकलीफ होटल कारोबार से जुड़ी कंपनियों को हो रही है।
दरअसल रियल एस्टेट कंपनियों ने मंदी को देखते हुए होटल बनाने की परियोजनाओं से हाथ खींचना शुरू कर दिया है, जिसका प्रतिकूल असर होटल कंपनियों पर पड़ रहा है। मंदी का खामियाजा भुगत रही कंपनियों में ऑर्किड होटल्स और रामादा वर्ल्डवाइड भी शामिल हैं।
नो मोर फाइवस्टार
इस उद्योग के जानकारों के मुताबिक कई डेवलपर होटल निर्माण क्षेत्र में प्रवेश करने की अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार कर रहे हैं। दिल्ली और आसपास के इलाकों (एनसीआर), बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे और अन्य शहरों में परियोजनाएं चलाने वाली रियल एस्टेट कंपनियां चार और पांच-सितारा होटल परियोजनाओं से परहेज कर रही हैं। सूत्रों के मुताबिक पुणे में एक पांच-सितारा होटल की योजना को इसके डेवलपर के इस परियोजना से बाहर हो जाने के कारण टाल दिया गया है।
बेंगलुरु के हैबिटेट वेंचर्स के कार्यकारी निदेशक शिवराम मलाकाला कहते हैं, 'होटल में किए जाने वाले निवेश पर कमाई अधिक नहीं रह गई है, क्योंकि इसके लिए इस्तेमाल भूमि को वाणिज्यिक इस्तेमाल में शुमार किया गया है। होटल कारोबार से जुड़ने का मतलब है पांच या इससे अधिक वर्षों तक कमाई का इंतजार करना। यानी होटल के पूरी तरह शुरू हो जाने के बाद ही कमाई की उम्मीद की जा सकती है।'
वैकल्पिक उपाय
उन्होंने कहा, 'डेवलपर अपने धन के इस्तेमाल के लिए वैकल्पिक उपाय तलाश रहे हैं और इस तरह वे इससे बाहर निकलने की योजना बना रहे हैं।' हालांकि रॉयल ऑर्किड होटल्स और रामादा वर्ल्डवाइड के प्रवर्तक विंडहैम होटल गु्रप इंटरनेशनल ने ऐसी किसी योजना से इनकार किया है।
विंडहैम होटल ग्रुप के इंडियन ओसन रीजन के निदेशक (अंतर्राष्ट्रीय मामले) सुनील माथुर कहते हैं, 'हमारी सभी परियोजनाएं ठीक से चल रही हैं। इन परियोजनाओं में एक या दो महीने का विलंब हो सकता है, लेकिन इनमें से किसी को भी टाला नहीं गया है।'
बिक रही है जमीन
वहीं बेंगलुरु में ऐसी तकरीबन 10 परिसंपत्तियों और दिल्ली के आसपास के इलाकों में 5 परिसंपत्तियों की बिक्री की बात कही गई है। पिछले वर्ष 20 से अधिक चार-सितारा होटलों के निर्माण के लिए बेंगलुरु का चयन किया गया था जिनमें से 6 परिसंपत्तियों ने कामकाज शुरू कर दिया है।
मुंबई के एक होटल कारोबार कंसल्टेंट के मुताबिक डेवलपर कंपनियों को नगदी के संकट का सामना करना पड़ रहा है और या तो वे इस संपत्ति की बिक्री (कुछ मामलों में तो होटल की इमारत को अधूरा ही छोड़ दिया गया है) कर रही हैं या फिर होटल कंपनियों से भागीदार की तलाश करने को कहा गया है जो इस उपक्रम में निवेश कर सकें।
उदाहरण के लिए जो परिसंपत्ति 30 करोड़ रुपये की है, उसे 25-30 लाख रुपये के डिस्काउंट पर बेचा जा रहा है। इस क्षेत्र की कंपनियों का मानना है कि जहां उनके लिए भूमि की खरीद करना मुश्किल हो गया है वहीं यह मंदी होटल कारोबार की उन बड़ी कंपनियों के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है जो भूमि खरीदना चाहती हैं।
नाइट फ्रैंक (इंडिया) के राष्ट्रीय निदेशक (हॉस्पीटेलिटी ऐंड लीजर) श्रीनाथ शास्त्री कहते हैं, 'यदि रियल एस्टेट बाजार मंद रहता है और होटल कमरों की मांग बनी रहती है तो डेवलपर होटल परियोजना को लेकर अपने खतरे को कम कर सकता है।'
जबानी घोषणाएं
पिछले साल एक दर्जन से अधिक ग्लोबल चेन ने भारत में 350 पांच-सितारा, चार-सितारा और कम किराए वाले सस्ते होटल और 50 विला स्थापित करने की अपनी योजनाओं की घोषणा की थी। इन ग्लोबल चेन में हिल्टन, एकॉर, मेरियट इंटरनेशनल, बेर्गरुएन होटल्स, कबाना होटल्स, प्रीमियर ट्रेवल इन और इंटरकाँटिनेंटल होटल्स गु्रप शामिल हैं।
इनमें से अधिकांश समूहों ने रियल एस्टेट क्षेत्र की कंपनियों से हाथ मिलाया था। इन योजनाओं से तकरीबन 65,000 अतिरिक्त होटल कमरों का निर्माण होगा। इस मामले में यदि पिछले दशक पर नजर डाली जाए तो सभी श्रेणियों में होटल कमरों की कुल संख्या में महज 10 फीसदी तक का ही इजाफा हुआ।
घट गए ग्राहक
विश्लेषकों के मुताबिक रियल एस्टेट क्षेत्र में मंदी के कारण महानगरों में होटल में ठहरने वालों की संख्या में कमी दर्ज की जा सकती है। महानगरों में फिलहाल यह दर 75 से 80 फीसदी के बीच है जो ऑफसीजन के शुरू होने के कारण अगले कुछ महीनों में घट कर 70 फीसदी के आसपास रह सकती है। यानी होटल क्षेत्र अभी मंदा ही रहेगा।
होटलों में पसरा सन्नाटा
दिल्ली, एनसीआर, बेंगलुरु, चेन्नई, पुणे में उपस्थिति रखने वाली रियल एस्टेट कंपनियां चार और पांच-सितारा होटल परियोजनाओं से कर रही हैं परहेज
पुणे में डेवलपर के परियोजना से पीछे हट जाने के कारण एक पांच-सितारा होटल की योजना टली
विंडहैम होटल गु्रप इंटरनेशनल का ऐसी किसी योजना से इनकार
कंपनियों के सामने नकदी का टोटा। या तो होगी संपत्ति की बिक्री या फिर होटल कंपनियों को बनना होगा परियोजना निवेश में भागीदार