जैविक खेती के लिए सरकार सभी प्रकार की सुविधाएं देगी : नीतीश | बीएस संवददाता / पटना June 22, 2011 | | | | |
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि जैविक को अपनाने के लिए राज्य सरकार किसानों हर तरह की सुविधा मुहैय्या कराएगी। जैविक बिहार पर पटना के मौर्या होटल में आज से शुरू तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उदघाटन करते हुए नीतीश ने कहा कि जैविक खेती को अपनाने के लिए राज्य सरकार किसानों हर तरह की सुविधा मुहैया कराएगी।
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने राज्य में जैविक खेती को काफी महत्ता दी है और पिछले वर्ष से जैविक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए 250 करोड़ रुपये की
लागत से एक विशेष योजना पर काम करना शुरू कर दिया गया है। नीतीश ने कहा कि इस योजना के तहत बिहार के हर जिले में एक गांव को जैविक गांव के रूप में विकसित करने के लिए चिंहित किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने वर्मी कम्पोस्ट के उत्पादन को मांग आधारित बनाया गया है, पहले साल ही करीब 40 हजार किसानों ने इसका लाभ उठाया है और व्यवसायिक स्तर पर वर्मी कम्पोस्ट बनाने के कार्यक्रम की शुरूआत की गई है। नीतीश ने कहा कि हमारे यहां गोबर का इस्तेमाल लोग जलावन के लिए भी करते हैं और ईंधन का भी विकल्प होना चाहिए इसलिए वर्मी कम्पोस्ट के साथ-साथ बायोगैस का संयत्र लगाने पर सरकार की ओर से 50 प्रतिशत का अनुदान देने की योजना है और अगर मल पर आधारित बायोगैस की स्थापना करेंगे तो सरकार 75 प्रतिशत अनुदान देगी।
उन्होंने कहा कि इस खरीफ के मौसम में लगभग एक लाख क्वींटल ढैंचा की बीज नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया है और यह पूरी कोशिश है कि मिट्टी की जो उर्वरा शक्ति
है वह बनी रहे। नीतीश ने कहा कि हम बायो-फर्टिलाईजर को बढ़ावा दे रहे हैं और बीज उत्पादन करने वाले किसानों को जैव उर्वरक मुफ्त उपलब्ध कराया जा रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि 2010-11 में लगभग एक लाख दस हजार किसानों को राजोबियम और दो लाख 27 हजार किसानों को एजेटोबैक्टर और फास्फेट सोलिबिलाईजिंग बैक्टिेरिया उपलब्ध कराया गया है।
उन्होंने कहा कि बायो-फर्टिलाईजर में सरकार का 90 प्रतिशत अनुदान देने का विचार है और जो बायो-पेस्टीसाईड्स अपनाएंगे उन्हें 50 प्रतिशत अनुदान देने की योजना है। नीतीश ने नालंदा जिला के सोढी गांव का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां 160 एकड़ में किसानों ने जैविक खेती करके आलू का उत्पादन किया। उन्होंने कहा कि उतने सुंदर और बडे साईज का आलू हमने इससे पूर्व बिहार में नहीं देखा था।
उन्होंने कहा कि किसानों के बीच जैविक खेती को लेकर जो कई प्रकार की भ्रांतियां है उसे जैविक खेती करने वाले किसानों के अनुभव दूर कर देगा। नीतीश ने कहा कि राज्य सरकार जैविक खेती को चुनिंदा तौर पर नहीं बल्कि बडे पैमाने पर करना चाहती है क्योंकि कालांतर में टिकाऊ खेती की जो बात की जा रही है वह कायम रह सके।
उन्होंने कहा कि आजादी के समय देश की मिट्टी में केवल नाईट्रोजन की कमी पाई जाती थी पर आज अनेक प्रकार की उसमें कमी आ गई है।
नीतीश ने कहा कि पहली हरित क्रांति का प्रभाव देश के सीमित क्षेत्रों तक रहा और उसमें केमिकल फर्टिलाईजर का इस्तेमाल किया गया जिससे खाद्यान्न के मामले में हम आत्मनिर्भर तो हो गए पर उसके कारण एक समस्या यह उत्पन्न हो गई कि जिन इलाकों में हरित क्रांति आई उन ईलाकों में अब उत्पादन की सीमा है उससे वे आगे नहीं बढ़ सकते और दूसरी बात यह कि वहां की मिट्टी में अनेक प्रकार की बीमारियां हो रही है।
|