मझोले और छोटों पर परदेसी दिल मचले | एफआईआई को लार्जकैप शेयरों की तुलना में स्मॉलकैप और मिडकैप कंपनियों के शेयर अधिक लुभा रहे हैं | | कृष्णा मर्चेंट / मुंबई June 15, 2011 | | | | |
सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ही सूचकांक एक साल से सीमित दायरे में बने हुए हैं। ऐसे में विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) चुनिंदा मझोले एवं छोटे आकार के शेयरों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। यही वजह है कि वित्त वर्ष की शुरुआत के बाद से ही मझोले और छोटे आकार के शेयरों के सूचकांक सेंसेक्स को मात देने में सफल रहे हैं। मिड-कैप और स्मॉल-कैप दोनों सूचकांक 1 फीसदी और 2 फीसदी ऊपर हैं जबकि सेंसेक्स पिछले ढाई महीनों में लगभग 6 फीसदी नीचे आया है।
प्रमुख रणनीतिकार एवं मॉर्गन स्टेनली में इंडिया इक्विटी रिसर्च के प्रमुख रिद्म देसाई कहते हैं, 'एक से डेढ़ वर्ष के संदर्भ में हम स्मॉल-कैप पर सकारात्मक हैं। इनका मूल्यांकन सब-10 गुना पर आकर्षक है।Ó बिजनेस स्टैंडर्ड रिसर्च डेटा के अनुसार स्मॉल कैप सूचकांक के लगभग 40 फीसदी शेयर 10 गुना नीचे, प्राइस टु अर्निंग मल्टीपल से 12 महीने पीछे कारोबार कर रहे हैं। स्मॉल कैप सूचकांक में शामिल कुछ कंपनियों का मूल्यांकन काफी आकर्षक है।
एमके में प्रमुख (इंस्टीट्ïयूशनल रिसर्च) अजय परमार कहते हैं, 'हम सीमित दायरे वाले बाजार में मझोले और छोटे शेयरों में संस्थागत निवेशकों की दिलचस्पी देख रहे हैं। अगर बाजार में और गिरावट आती है तो बड़े शेयर अधिक प्रभावित होंगे।Ó इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि शेयर बाजार जब नवंबर 2010 की ऊंचाई से नीचे आए तो सेंसेक्स 13 फीसदी तक गिरा। लेकिन प्रमुख बाजार सूचकांक के शेयर लगभग 20 फीसदी तक गिर गए। इस तेज गिरावट ने कई शेयरों को मूल्यांकन के लिहाज से काफी सस्ता बना दिया है। मॉर्गन स्टेनली ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में हैथवे केबल, ऑनमोबाइल ग्लोबल, पैंटालून रिटेल, अबान ऑफशोर, आईवीआरसीएल और नागार्जुन कंस्ट्रक्शन को खरीदने की सलाह दी है। जून 2009 में भी मझोले और छोटे आकार के शेयरों ने एक साल की अवधि में लगभग 30 फीसदी का रिटर्न दिया था। समान अवधि में सेंसेक्स ने 10 फीसदी का रिटर्न दिया।
सिटीबैंक में प्रबंध निदेशक एवं शोध प्रमुख आदित्य नारायण ने कहा कि प्रमुख बाजारों में जोखिम तत्व को पहचानने की जरूरत है, क्योंकि इनमें व्यवसाय अधिक संवेदनशील है। आदित्य नारायण का कहना है कि वे इन सूचकांकों पर नजर रख रहे हैं।
लेकिन ये सूचकांक जोखिम की संभावना से जुड़े हुए हैं। विश्लेषकों का कहना है कि निवेशकों को उन शेयरों से परहेज करना चाहिए जो बहुत ज्यादा नीचे यानी 10 गुना पी/ई से नीचे कारोबार कर रहे हैं, लेकिन उन्हें मजबूत बैलेंस शीट, अच्छे प्रबंधन और लाभांश वाले शेयरों पर नजर रखनी चाहिए।
परमार ने कहा कि छोटे निवेशकों को मिड-कैप शेयरों में निवेश को लेकर काफी सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि अगर बाजार में बहुत अधिक गिरावट आती है तो मझोले आकार के शेयरों पर बिकवाली दबाव काफी बढ़ जाएगा।
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