मांग में कमी, नकदी की किल्लत और उच्च ब्याज दरों की मार झेल रही रियल एस्टेट कंपनियों को अब एक झटका और लग सकता है।
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि विदेशी निवेशक भारतीय रियल एस्टेट बाजार से किनारा करने का मन बना रहे हैं। प्राइवेट इक्विटी विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में आई मंदी से वहां प्रॉपर्टी की कीमतों में काफी नरमी आई है, जिससे निवेशकों को लगता है कि यहां पैसा लगाने से भविष्य में उन्हें बेहतर रिटर्न मिल सकता है।
निवेशकों का भी मानना है कि भारतीय बाजार में जोखिम-मुनाफा का समीकरण अब उनके हित में नहीं है। कोटक रीयल एस्टेट फंड के सीईओ एस. श्रीनिवासन का कहना है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी और प्रॉपर्टी की घटती मांग से रियल एस्टेट डेवलपर्स को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है।
वहीं अब निवेशकों के किनारा करने से समस्या और बढ़ जाएगी। उदाहरण के तौर पर उनका कहना है कि अमेरिका के पेंशन फंड के पास यह विकल्प है कि वह भारत के रियल एस्टेट में निवेश करे या फिर किसी अन्य देश की प्रॉपर्टी में, जहां उन्हें ज्यादा मुनाफा मिले और जोखिम भी कम हो।
रियल एस्टेट के एक विशेषज्ञ का कहना है कि अमेरिका में प्रॉपर्टी में निवेश करने पर 18-20 फीसदी रिटर्न मिलता है, जबकि भारत में यह रिटर्न 25 फीसदी तक हो सकता है। बावजूद इसके यहां कई तरह की अड़चनें है, जिससे विदेशी निवेशक यहां पैसा लगाने से मना कर सकते हैं। निवेशकों का कहना है कि भारतीय बाजार में मुनाफा भले ही थोड़ा ज्यादा है, लेकिन यहां जोखिम भी बहुत है। यही नहीं, प्रॉपर्टी बाजार में अब पहले जैसी ग्रोथ भी नहीं रही।
प्रॉपर्टी के जानकारों का कहना है कि विदेशी निवेशक डील से पहले कई तरह के सवाल करने लगे हैं। अप्रैल में सिटी वेंचर और एआईजी ने मुंबई स्थित आकृति सिटी में 1500 करोड़ रुपये निवेश की योजना बनाई थी, लेकिन अब तक इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
प्रॉपर्टी डेवलपर्स भी इस स्थिति से वाकिफ हैं, यही वजह है कि वे निवेशकों को बेहतर ऑफर मुहैया करा रहे हैं। श्रीनिवासन का कहना है कि ब्याज दर में बढ़ोतरी और अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार की वजह से यह सेक्टर 12 महीनों से मंदी की मार झेल रहा है।