कोयले की कीमत बढ़ाएगी सीआईएल | शाइन जैकब / कोलकाता February 23, 2011 | | | | |
मुद्रास्फीति के दबाव और बढ़ती अंतरराष्ट्रीय कीमतें दुनिया की सबसे बड़ी कोयला कंपनी कोल इंडिया को अगले वित्त वर्ष में कीमतें बढ़ाने को बाध्य कर सकती हैं। कंपनी के एक आला अधिकारी के मुताबिक, कंपनी कीमतें इस तरह से बढ़ाएगी कि वह मुद्रास्फीति के दबाव को दूर रख सके। मौजूदा समय में मुद्रास्फीति करीब 4 से 4.5 फीसदी है।
कोल इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन पार्थ भट्टाचार्य ने कहा - अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में कोयले की कीमतें संशोधित होने की उम्मीद है। फिलहाल हम मुद्रास्फीति के भारी दबाव से जूझ रहे हैं और ऐसे समय में मजदूरी में भी संशोधन होना है, जो 1 जुलाई से प्रभावी होगा। साथ ही पर्यावरण संबंधी अवरोध के चलते उत्पादन में भी बढ़ोतरी नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसे में कीमतें बढ़ाए जाने की जरूरत है। भट्टाचार्य ने कहा कि कीमतें इस तरह से बढ़ाई जाएंगी ताकि मुद्रास्फीति के दबाव से निपटा जा सके। सूत्रों के मुताबिक, कंपनी पर मुद्रास्फीति का दबाव फिलहाल 4 से 4.5 फीसदी है, जो कुल महंगाई की दर से काफी कम है। अगर सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड कीमतों में संशोधन करती है तो जनवरी 2000 में कोयले के नियंत्रणमुक्त होने के बाद पांचवां ऐसा मौका होगा जब कंपनी कीमतें बढ़ाएगी। कोलकाता की इस कंपनी ने फरवरी 2001, जून 2004, दिसंबर 2007 और अक्टूबर 2009 में कीमतें बढ़ाई थीं।
कंपनी के आला अधिकारी ने बताया कि साल 1996 के प्रशासित कार्यकाल में सीआईएल ने कोयले की लागत आधारित कीमतें तय करनी बंद कर दी थी और साल 2001 तक आंशिक विनियमन जारी रखा था। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद हमने मंत्रालय से संपर्क किए बिना ऐसा नहीं किया है। अब कोयले की कीमतें वैश्विक स्तर पर करीब 40 फीसदी तक बढ़ गई है।
कंपनी के अधिकारी ने कहा कि सालों तक कीमतों में जिम्मेदारी के साथ बढ़ोतरी करते रहे। जब कंपनी बेहतर गुणवत्ता वाले धुले-धुलाए कोयले उपलब्ध कराने लगेगी, तब कीमतें स्वाभावित रूप से बढ़ेंगी। हालांकि कोकिंग कोल के लिए कीमतों मेंं बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करेगी। मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमतें करीब 130-140 डॉलर प्रति टन पर है।
इस बीच, विशेषज्ञ कीमतों में बढ़ोतरी के बाबत संशयी नजर आए। एलारा कैपिटल के विशेषज्ञ रवींद्र देशपांडे ने कहा - मुझे नहीं लगता कि सिर्फ कीमतों में बढ़ोतरी कंपनी के लिए पर्याप्त होगी क्योंकि कुल मिलाकर महंगाई का आंकड़ा काफी ऊंचा है। अगर कंपनी कीमतों में 4 से 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी करती है तब भी कंपनी अंतरराष्ट्रीय कीमतों के मुकाबले काफी कम कीमत पर कोयला बेच रही होगी।
|