स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ोदा वेदांता रिसोर्सेज के लिए पूंजी जुटाने में मुख्य भूमिका अदा करेंगे। अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली वेदांता रिसोर्सेज एक धातु एवं खनन कंपनी है।
यद्यपि लंदन स्टॉक एक्सचेंज में अधिसूचित इस कंपनी ने सूचित किया है कि यह कर्ज सामान्य कारपोरेट उद्देश्यों के लिए ले रही है लेकिन बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि इस पूंजी का इस्तेमाल सेसा गोवा में कंपनी द्वारा खरीदी गई हिस्सेदारी के भुगतान के लिए किया जाएगा।
गौरतलब है कि वेदांता ने पिछले साल अगस्त में सेसा गोवा में 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। इसकेलिए कंपनी ने 980 मिलियन डॉलर से भी अधिक का भुगतान किया था। बैंकरों का कहना है कि ऋण की समयावधि 57 महीने है और इसका कारोबार लिबोर प्राइस से दो तीन फीसदी ज्यादा पर है।
बैंकर का कहना है कि ये दो भारतीय बैंक अपनी अंतरराष्ट्रीय क्रियाविधि को बढ़ाने के लिए लोन सिंडिकेशन की ओर रुख कर रहें हैं। एक बैंक कार्यकारी का कहना है कि इससे इन बैंकों को फीस और कमीशन से मिलने वाली आय को बढ़ाने में मद्द मिलेगी। इसके अतिरिक्त इन बैंकों ने एक व्यवस्थापक के तौर पर इस फंडिंग के लिए अंडरराइटिंग कमिटमेंट भी दे दिया है। इसके अलावा बार्कले कैपिटल,स्टैंडर्ड चार्टर्ड,वेस्ट लैब और सॉयलोन भी कंपनी के लिए पूंजी जुटाने का काम करेंगे।
बैंकरों का कहना है कि भारतीय बैंकों की बैलेंस सीट के सीमित होने की वजह से उनका कमिटमेंट लेवल काफी कम है। लेकिन मजबूत ग्राहक संबंध और अनुभव केबढ़ने के साथ-साथ इन कंपनियों का विदेशी कारोबार में भी हिस्सेदारी बढ़ी है। भारतीय कंपनियों ने पिछले तीन सालों में अधिग्रहणों और विलय में सक्रिय भागेदारी की है।