मध्य प्रदेश में स्थिर रहेगा रबी फसलों का उत्पादन | शशिकान्त त्रिवेदी / भोपाल January 11, 2011 | | | | |
मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में तापमान गिरकर -2 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाने, बिजली संकट बरकरार रहने और उर्वरक की कमी की वजह से प्रदेश में गेहूं का उत्पादन स्थिर रह सकता है। देश के तीसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में चालू रबी सत्र के दौरान 143.25 लाख टन रबी पैदावार होने का अनुमान है। राज्य में चालू रबी सत्र के दौरान कुल 93 लाख हेक्टेयर भूमि में गेहूं बुआई का लक्ष्य रखा गया था। लक्ष्य के मुकाबले अब तक यहां 94.61 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई पूरी हो चुकी है। हालांकि यह आंकड़ा पिछले साल 94.81 लाख हेक्टेयर की तुलना में मामूली कम है। राज्य के कृषि और किसान कल्याण विभाग के एक वरिष्ठï अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'राज्य के सभी 50 जिलों में गेहूं की बुआई पूरी हो चुकी है। सभी रबी फसलों खासकर गेहूं, चना और सरसों की बुआई तय लक्ष्य से ज्यादा हुई है।Ó
गेहूं का उत्पादन लक्ष्य से ज्यादा करीब 90.50 लाख टन रहने का अनुमान है जबकि रबी सत्र में यह लक्ष्य केवल 80.90 लाख टन है। इसी तरह चना का उत्पादन तय लक्ष्य 33.80 लाख टन की तुलना में बढ़कर 34.35 लाख टन होने का अनुमान है। हालांकि सरसों तेल का उत्पादन लक्ष्य की तुलना में कम रहने की आशंका है। अनुमान के मुताबिक इसका उत्पादन 9.25 लाख टन रह सकता है जबकि लक्ष्य 9.45 लाख टन उत्पादन का है।
किसानों की मांग के अनुरूप राज्य में उर्वरक की पर्याप्त अपूर्ति नहीं हो पा रही है। यहां करीब 9 लाख टन यूरिया खाद की दरकार है जबकि इसकी उपलब्धता केवल 4 से 5 लाख टन तक सीमित है। इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया, 'केंद्र से मासिक आवंटन सामान्य रहने पर मांग की तुलना में इसकी थोड़ी कमी रह सकती है।Ó दूसरी तरफ, किसानों का कहना है कि उर्वरक और बीजों की खराब गुणवत्ता, बिजली की कमी और बेहाल सिंचाई व्यवस्था की वजह से राज्य में इस साल रबी पैदावार बढऩे की कोई संभावन नहीं है। एक किसान गुलाब सिंह वर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, 'पूरे मालवा क्षेत्र में इस साल मौसम बेहद खराब है। इससे गेहूं की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। पौधों का अंकुरन तो सही है लेकिन अत्यधिक ठंड होने की वजह से पौधों में पाला रोग लगने का खतरा बढ़ गया है।Ó राज्य के अन्य भागों में भी बेहद ठंड पडऩे की वजह गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है।
मध्य प्रदेश में सिंगल सुपर फॉस्फेट, मिश्रित खाद और अन्य उर्वरक की मांग काफी बढ़ी है जबकि इसकी तुलना में इसकी आपूर्ति ठीक ढंग से नहीं हो रही है। डीपीए खाद की अपूर्ति करीब 3.23 लाख टन है जबकि इसकी कुल मांग करीब 4 लाख टन है। इसी तरह सिंगल सुपर फॉस्फेट की आपूर्ति केवल 1.13 लाख टन है जबकि इसकी मांग दोगुना से भी ज्यादा करीब 3.30 लाख टन है। राज्य में पोटास की मांग 50,000 टन है जबकि अब तक इसकी अपूर्ति केवल 25,000 टन हो पाई है।
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