राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड, क्रेडिट कोऑपरेटिव इंस्टीटयुशन के लिए स्पेशल लिक्वीडिटी सहायता केन्द्र खोलने जा रहा है।
इसमें स्टेट कोऑपरेटिव बैंक भी शामिल होंगे। इस कदम का उद्देश्य केन्द्र सरकार द्वारा किसानों के कर्ज माफ करने की बाद की स्थिति से निपटना है। नाबार्ड,ग्रामीण सहकारिता संगठनों को पुनर्वित्तीय सहायता प्रदान करने वाली संस्था है।
नाबार्ड के कार्यकारी निदेशक एस के मित्रा ने स्टेट कोऑपरेटिव बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों के साथ हुई बैठक के बाद बताया कि अगर सहकारी बैंक योजनाओं के कार्यान्वयन में संसाधनों की कमी महशूस करते हैं तो हम उस स्थिति में सहकारी बैंकों को वित्तीय सहायता प्रदान करेंगे जिससे कि विकास योजनाओं में बाधा न पहुंचे।
नाबार्ड सहकारी बैंकों को वित्तीय सहायता प्रदान करने केलिए बाजार से उधार ले सकती है। इसने पहले ही एक वर्षीय पेपर के जरिए 100 करोड़ रुपये उठा चुकी है जिसका कि कूपन दर 9.3 प्रतिशत है। । अगर वे किस्त देने में परेशानी महशूस करते हैं तो उस स्थिति में पुनर्भुगतान करने के समय में फेरबदल किया जा सकता है।
योजनाओं को लागू किए जाने में होनेवाली परेशानियों के बारे में बैंकों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की प्रतिक्रि या के बारे में पुछे जाने पर मित्रा ने बताया कि कर्मचारियों की कमी परेशानी का सबब बन सकती है।
नाबार्ड के अध्यक्ष उमेश चंद्र सारंगी ने कार्यकारी अधिकारियों को किसानों के बीच असंतोष और तनाव के बारे में अवगत कराया। नाबार्ड ने उन्हें 30 जून से पहले नकद राशि और क्रेडिट संबंधी आवश्यकताओं का निपटरा करने को कहा।