छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पार्टी सरकार राज्य के कुछ खास इलाकों में जल संकट को दूर करने के मकसद से जलाशयों को जोडऩे की योजना पर काम कर रही है। जब भाजपा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सरकार केंद्र में थी तो इस सरकार ने नदियों को जोडऩे की महत्वाकांक्षी योजना तैयार की थी लेकिन इस परियोजना पर काम आगे नहीं बढ़ सका।
अब छत्तीसगढ़ में सिंचाई सुविधा में बढ़ोतरी करने के लिए यहां के दो बड़े जलाशयों को 60 लंबी नहर से जोड़ा जाएगा। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री रमन सिंह ने राज्य के दो प्रमुख सिंचाई जलाशयों धमतरी जिले के गंगरेल स्थित रविशंकर जलाशय और दुर्ग जिले के तांदुला जलाशय को लगभग 60 किलोमीटर लंबी नहर के जरिए आपस में जोडऩे की प्रस्तावित योजना के लिए सर्वेक्षण की स्वीकृति प्रदान कर दी। सिंह के निर्देश पर जल संसाधन विभाग ने गंगरेल-तांदुला जलाशय लिंक परियोजना के लिए सर्वेक्षण शुरू करा दिया है।
प्रस्तावित नहर के निर्माण में लगभग 250 करोड़ रुपये की लागत संभावित है, जबकि इसके बन जाने पर दुर्ग जिले में तांदुला जलाशय के कमांड क्षेत्र में किसानों को लगभग 30,000 हेक्टेयर के रकबे में खरीफ के दौरान सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी दिया जा सकेगा। अधिकारियों ने बताया कि परियोजना के निर्माण के लिए राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2010-11 में जल संसाधन विभाग के बजट में 15 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। राज्य में जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से अनियमित और अपर्याप्त बारिश के कारण तांदुला सिंचाई जलाशय में पानी का भराव उसकी निर्धारित क्षमता से काफी कम हुआ था। वर्ष 2008-09 में इसमें केवल 29 प्रतिशत और पिछले वर्ष केवल 36 प्रतिशत जल भराव दर्ज किया गया था। कम जल भराव के कारण सिंचाई और नगर निगम क्षेत्रों को पानी की आपूर्ति में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने जल संसाधन विभाग को धमतरी जिले के रविशंकर जलाशय (गंगरेल बांध) में पूर्ण जलभराव के बाद शेष रह गए अतिरिक्त पानी को महानदी में डालने के बजाए इसे नहर बनाकर तांदुला जलाशय तक पहुंचाने की योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। अधिकारियों ने बताया कि सिंह के निर्देशों के अनुरूप विभागीय इंजीनियरों ने प्रस्ताव तैयार किया है।इसके लिए तकनीकी सलाहकार के जरिए सर्वेक्षण शुरू कर दिया गया है। सर्वेक्षण के लिए चयनित तकनीकी सलाहकार एजेंसी विप्कोज द्वारा ही योजना की प्रशासकीय स्वीकृति का आकलन तैयार किया जाएगा। सरकार ने केंद्रीय जल आयोग सहित केंद्रीय वन और पर्यावरण विभाग से स्वीकृति प्राप्त करने का दायित्व सलाहकार एजेंसी को सौंपा है।
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