कर्नाटक के मडेकेरी क्षेत्र में बेमौसम बारिश से फैली बीमारी ने कालीमिर्च की फसल को काफी नुकसान पहुंचाया है। इस वजह से इस साल काली मिर्च का उत्पादन घटकर 45,000 टन तक आने की संभावना है।
शेयरखान के कमोडिटी रिसर्च प्रमुख शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि हालांकि अंतरराष्ट्रीय कालीमिर्च समुदाय ने भारत में 50,000 टन काली मिर्च के उत्पादन होने का अनुमान जताया है। पर कर्नाटक के मडेकेरी क्षेत्र में भारी बारिश से बेरी ड्राप नामक रोग कालीमिर्च के पौधे में लग गया है। इससे काली मिर्च का उत्पादन करीब 45,000 टन तक सिमट जाने की उम्मीद है।
कारोबारी सूत्रों के मुताबिक कर्नाटक में आमतौर पर काली मिर्च का सालाना उत्पादन 20,000 से 22,000 टन होता है। लेकिन बेरी ड्राप की वजह से उत्पादन के 15,000 से 16,500 टन तक पहुंच जाने का अनुमान है। कुमार ने कहा कि फसलों की बीमारी से केरल के वायनाड में काली मिर्च की फसल प्रभावित हुई है और इस साल उत्पादन में अच्छी-खासी गिरावट आ सकती है।
उनके मुताबिक, केरल में काली मिर्च की पैदावार करीब 25,000 टन, जबकि तमिलनाडु में 5,000 टन रहने की उम्मीद है। इस तरह से चालू सीजन में कुल उत्पादन 46,500 टन के आसपास रह सकता है। हालांकि बाद में मौसम के अनुकूल होने से इस फसल को हुई क्षति में सुधार आने की उम्मीद जतायी गयी है। अगर ऐसा हुआ तो मौजूदा साल में कालीमिर्च का उत्पादन बढ़कर 50,000 से 52,000 टन तक रह सकता है।
फिर भी पिछले साल की तुलना में यह 10 फीसदी कम है जबकि 1991-92 के बाद कालीमिर्च की यह सबसे कम पैदावार है। भारत कालीमिर्च का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है। पिछले दो साल के दौरान इसकी खपत 55,000 से 60,000 टन के बीच रहा है।
आईपीसी के अनुसार, 2006 में देश में इसकी खपत जहां 50,000 टन की थी वहीं 2007 में यह बढ़कर 55,000 टन तक पहुंच गया। पर इस साल कीमतों में चढ़ाव की वजह से कालीमिर्च की खपत घटकर महज 45,000 टन तक रह जाने की संभावना जतायी गई है।
2008-09 में देश में कालीमिर्च की कुल उपलब्धता 77,000 से 80,000 टन के बीच रहने का अंदाजा है। इसमें से 50,000 से 52,000 टन का घरेलू उत्पादन, 12,000 टन का आयात और 16,000 से 18,000 टन का पिछला भंडार है। इस साल इसका कुल उपभोग 73,000 टन तक रह सकता है। इसमें से 50,000 टन का घरेलू उपभोग जबकि शेष 22,000-23,000 टन का निर्यात होने की उम्मीद है।
इस साल मांग में तंगी के चलते लगता नहीं कि अगले साल के लिए इसका भंडार 9,000 टन से अधिक रह पाएगा। वियतनाम में 70-80 फीसदी फसल के तैयार हो जाने और इसके बाजार में आ जाने से कालीमिर्च की वैश्विक मांग में कमी आयी है।