बिड़ला समूह ने हिंडाल्को में बढ़ाई हिस्सेदारी | पिछले दो महीने में समूह ने इस कंपनी में अपनी हिस्सेदारी में 4 फीसदी तक का इजाफा किया है | | बीएस संवाददाता / मुंबई September 03, 2010 | | | | |
आदित्य बिड़ला समूह ने पिछले दो महीनों में अपनी एल्युमीनियम एवं तांबा उत्पादक कंपनी हिंडाल्को इंडस्ट्रीज में हिस्सेदारी में 4 फीसदी तक का इजाफा किया है। इस कंपनी अब प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बढ़ कर 36 फीसदी हो गई है जो जून के अंत में 32.08 फीसदी थी।
इस पहल को समूह की अपनी सभी कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाए जाने की रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है। समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा, 'हम चालू वित्त वर्ष में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बढ़ाए जाने की संभावना तलाश रहे हैं और मौजूदा 36 फीसदी की हिस्सेदारी को और बढ़ाने की कोशिश लगातार जारी रखेंगे।'
शुक्रवार को हिंडाल्को की 51वीं सालाना आम बैठक में बोलते हुए उन्होंने कहा कि हिस्सेदारी में वृद्घि कंपनी के लिए किसी तरह की चुनौती या खतरे का संकेत नहीं है।कंपनी ने अगले पांच वर्षों में 40,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च की योजना बनाई है जिसमें से 10,000 करोड़ रुपये चालू वित्त वर्ष में खर्च कर रही है और 11,000 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2012 में खर्च किए जाएंगे।
बिड़ला ने फिलहाल किसी अन्य अधिग्रहण की योजनाओं से इनकार कर दिया है। नोवेलिस के अधिग्रहण का कंपनी के मुनाफे पर असर दिखना शुरू हो गया है। नोवेलिस वित्त वर्ष 2011 में 1 अरब डॉलर के ईबीआईटीडीए के अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए तेजी से प्रयासरत है। पिछले वित्त वर्ष में नोवेलिस का ईबीआईटीडीए 75.4 करोड़ डॉलर दर्ज किया गया था जो पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में 55 फीसदी की वृद्घि है।
खदानों की तलाश
हिंडाल्को अपने पोर्टफोलियो में और तांबा खदानों को शामिल करना चाहती है। कंपनी के प्रबंध निदेशक डी भट्टाचार्य ने कहा, 'हम पूरी दुनिया में तांबा खदानों की तलाश कर रहे हैं। धातु खपत बढऩे की संभावना है। एल्युमीनियम क्षेत्र के लिए भी दृष्टिकोण में सुधार आएगा, क्योंकि हलकी कारों के लिए उत्सर्जन मानकों की मांग बढ़ रही है।
इसे एल्युमीनियम खपत के लिहाज से अच्छा अवसर माना जा रहा है। वाहन क्षेत्र कारोबार में वृद्घि के साथ अपने पुरानी हैसियत हासिल करने की ओर पूरी तरह से अग्रसर है।' कंपनी को उम्मीद है कि धातुओं की कीमतें नहीं गिरेंगी। भट्टïाचार्य ने कहा कि एलएमई में बड़ी कटौती की संभावना नहीं है।
पूंजीगत खर्च
कंपनी लगभग 40,000 करोड़ रुपये के पूंजीगत खर्च के साथ नई परियोजनाओं और मौजूदा परियोजनाओं के विस्तार दोनों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि ये परियोजनाएं 2012 और 2014 के बीच परिचालन में आ जाएंगी। इसकी विस्तार परियोजनाओं में हीराकुड पर मौजूदा 155 किलो टन प्रति वर्ष (केटीपीए) की क्षमता को बढ़ा कर वर्ष 2012 तक 213 केटीपीए किए जाने की परियोजना पर फिलहाल काम चल रहा है।
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