ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में उतरेगी गेल (इंडिया) | बिजली परियोजनाओं के लिए अपनी गैस पाइपलाइनों के ही समीप उपलब्ध जमीन का करेगी इस्तेमाल | | अजय मोदी और ज्योति मुकुल / नई दिल्ली August 26, 2010 | | | | |
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी गेल (इंडिया) महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में गैस आधारित बिजली इकाइयां स्थापित करने की योजना बना रही है। देश की सबसे बड़ी गैस विपणन कंपनी के पास इन इकाइयों के लिए भूमि और अन्य बुनियादी सुविधाएं पहले सी मौजूद हैं।
गेल के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बी सी त्रिपाठी ने कहा कि कंपनी इन प्रदेशों में परियोजनाएं शुरू करने की संभावनाओं का अध्ययन कर चुकी है और इनके बारे में तीन से चार महीनों में अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा।
बिज़नेस स्टैंडर्ड से बातचीत में त्रिपाठी ने कहा, 'जहां कहीं भी गैस पाइपलाइन के साथ हमारे पास भूमि, टाउनशिप और जल उपलब्ध हैं, हम वहां डिस्ट्रीब्यूटेड पावर प्लांट्स की स्थापना करेंगे।'
त्रिपाठी ने कहा कि डिस्ट्रीब्यूटेड गैस आधारित कम क्षमता वाली बिजली इकाइयां कंपनी के लिए कम खर्चीली हो सकती हैं। कंपनी अपनी प्रस्तावित परियोजनाओं में प्रति मेगावाट 3.5-4 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी की चार गैस आधारित इकाइयों, जिनमें से प्रत्येक 250 मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगी, के लिए प्रतिदिन 25 लाख स्टैंडर्ड क्युबिक मीटर गैस की आवश्यकता होगी।
त्रिपाठी ने कहा कि इन इकाइयों के लिए गैस की आपूर्ति घरेलू स्रोतों या फिर बाहर से आयातित एलएनजी से की जाएगी। त्रिपाठी ने कहा कि कंपनी पहले से ही दाभोल परियोजना में प्रवर्तक की भूमिका में है जिससे 1800-1900 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है, इसलिए कंपनी ने बिजली उत्पादन में उतरने की योजना बनाई है।
गुजरात स्टेट एनर्जी जेनरेशन लिमिटेड में गेल की 12 फीसदी हिस्सेदारी है। इन उद्यमों में गेल ने 1,100 करोड़ का निवेश किया है। गैस आधारित परियोजनाओं के बगल में कंपनी की पवन और सौर ऊर्जा के व्यावसायिक उत्पादन की भी योजना है। इस बारे में त्रिपाठी का कहना था 'हम जवाहर लाल नेहरू सोलर मिशन' की बोली प्रक्रिया में हिस्सा लेंगे।
शुरू में कंपनी की 10 मेगावाट क्षमता वाली इकाई की स्थापना करने की योजना है जिसकी क्षमता बाद में बढ़ाकर 50 मेगावॉट तक की जाएगी। कंपनी की सौर ऊर्जा परियोजना की शुरुआत राजस्थान में होगी। पवन ऊर्जा के लिए कंपनी गुजरात में 100 मेगावाट परियोजना वाली इकाई स्थापित करने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। राज्य में कंपनी की पहले से ही 5 मेगावॉट की कैप्टिव पवन ऊर्जा परियोजना है।
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