बिहार में कम बारिश से मक्के का रकबा बढऩे की आस | राज्य में सामान्य से 21 फीसदी कम बारिश | | सत्यव्रत मिश्रा / पटना July 29, 2010 | | | | |
मॉनसून के इस साल भी वक्त पर न बरसने से सूबे में धान की खेती करने वाले किसानों के चेहरे भले ही लटके हुए हैं, लेकिन मक्का किसानों की मुस्कुराहट दिनों दिन बढ़ रही है। दरअसल, कम बारिश होने से मक्के की फसल के लिए अच्छी परिस्थितियां बन चुकी हैं, जिससे उन्हें इस बार भी अच्छी कमाई होने की उम्मीद है।
दूसरी तरफ, बिहार की मंडियों में मक्के की बढ़ती कीमतों को देखकर कई किसान इसका रुख करने लगे हैं। राज्य में इस बार सामान्य से 21 फीसदी कम बारिश हुई है। इससे धान की बुआई पर काफी ज्यादा असर हुआ है। राज्य के कृषि उत्पादन आयुक्त अशोक कुमार सिन्हा ने बताया- सूबे में अब तक 16 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की बुआई हो जानी चाहिए थी, लेकिन मॉनसून कमजोर पडऩे की वजह से अब सिर्फ 8 लाख हेक्टेयर पर ही बीज डाले गए हैं।
हालांकि मक्के की फसल पर इसका कोई असर नहीं हुआ, बल्कि उससे फायदा ही हुआ है। खरीफ के मौसम में राज्य सरकार ने करीब चार लाख हेक्टेयर में मक्के की खेती का लक्ष्य रखा था। वहीं, उत्पादन के मामले में 9 लाख टन मक्के का लक्ष्य रखा गया था। हालांकि, मॉनसून के रुख को देखते हुए इसके रकबे में इजाफा हुआ और उत्पादन भी 10 लाख टन होने का अनुमान है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर) के पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान केंद्र, पटना में फसल शोध के प्रमुख डॉ. एस.एस. सिंह ने बताया- बीते कुछ सालों से सूबे में मक्के का रकबा तेजी से बढ़ता जा रहा है। बड़ी वजह है, मॉनसून का तेजी से बदलता रुख। मक्के की खेती के लिए धान के मुकाबले काफी कम पानी की जरूरत होती है।
इस कारण उत्तर और दक्षिण बिहार के किसान तेजी से इस फसल की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि, मक्के का रकबा राज्य में धान के रकबे से काफी कम है। इस वक्त राज्य में धान का रकबा करीब 35 लाख हेक्टेयर है, वहीं खरीफ और रबी, दोनों मौसम में मक्के का रकबा 10 लाख हेक्टेयर का है। सिंह ने बताया- इस साल भी मॉनसून कमजोर रहने की ही उम्मीद है।
इसलिए कई किसान अब मक्के का रुख कर रहे हैं। साथ ही, मक्के की फसल कम अवधि की होती है और इसमें कमाई भी ज्यादा होती है। सूबे के पूर्णिया जिले में स्थित गुलाबबाग मंडी के कारोबारी नीरज खेमका का कहना है- इस वक्त मंडी में मक्का 920 से 970 प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा है। इस पर भी कोलकाता और मुंबई के कारोबारी दिल खोल कर खरीदारी कर रहे हैं।
बीते मौसम में फसल भी अच्छी खासी हुई थी। ज्यादा भाव होने से किसानों को भी अच्छी रकम मिल रही है। किसानों को अपने खेतों से मक्का बेचने पर भी 750-800 रुपये प्रति क्विंटल का भाव मिल रहा है। ऐसे में वह मक्के की तरफ रुख करेगा ही। इस साल भी हमें अच्छी पैदावार की उम्मीद है। दरअसल, कहीं से बाढ़ की खबर नहीं है। साथ ही, बारिश कम होने से यह मौसम मक्के के लिए बेहतरीन हो गया है।
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