राजकोषीय मोर्चे पर खुशफहमी में न रहे सरकार | रिजर्व बैंक ने आर्थिक अनुमान पहले के मुकाबले 8.5 फीसदी कर दिया है | | बीएस संवाददाता / मुंबई July 27, 2010 | | | | |
रिजर्व बैंक ने आज सरकार को आगाह किया कि वह मौजूदा राजकोषीय स्थिति को ले कर खुशफहमी में न पड़े। सरकार को स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिली बड़ी राशि के कारण राजकोषीय सुदृढ़ीकरण को लेकर आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए। रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, 'यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी से मिली एकमुश्त राशि से राजकोषीय मजबूती को लेकर उठाए जाने वाले कदम ढीले नहीं पडऩे चाहिए।'
केंद्रीय बैंक ने कहा कि स्पेक्ट्रम नीलामी से सरकार को 1,06,000 करोड़ रुपये मिले जो बजटीय 35,000 करोड़ रुपये के अनुमान से कहीं अधिक है। यह राशि जीडीपी के एक फीसदी से अधिक है।
वित्तीय संकट से निपटने के लिए 2008 के अंत से दिए गए वित्तीय प्रोत्साहन के कारण सरकार का राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बिगड़ गया है। कानून के मुताबिक वित्त वर्ष 2008-09 में सरकार का राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3 फीसदी था जो बढ़कर 6. 0 फीसदी से अधिक हो गया। वहीं 2009-10 में यह बढ़कर 6.5 फीसदी पहुंच गया।
हालांकि चालू वित्त वर्ष में सरकार ने प्रोत्साहन पैकेज को आंशिक रूप से लेकर राजकोषीय मजबूती के कदम उठाए हैं। वित्त वर्ष 2010-11 में सरकार का राजकोषीय घाटे को 5.5 फीसदी के स्तर पर रखने का लक्ष्य है।
अगर स्थिति सामान्य रही तो, स्पेक्ट्रम की बिक्री से प्राप्त राशि के कारण सरकार को राजकोषीय घाटे में एक फीसदी अंक की कमी करने में मदद मिलेगी। सरकार की योजना के तहत, 2010 में राजकोषीय घाटे को 5.7 फीसदी, 2011-12 में 4.8 फीसदी, 2012-13 में 3.0 फीसदी के स्तर पर लाने का लक्ष्य है।
वृद्घि अनुमान कम
मानसून सामान्य रहने, उद्योग और सेवा क्षेत्र में मजबूती को देखते हुए रिजर्व बैंक ने आज आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 8.0 फीसदी से बढ़ाकर 8.5 फीसदी कर दिया। हालांकि केंद्रीय बैंक ने वैश्विक आर्थिक नरमी का अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले प्रभाव को लेकर चेतावनी भी दी। रिजर्व बैंक ने अपनी तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा, 'अबतक हुई मानसून की प्रगति को देखते हुए 2010-11 में आर्थिक वृद्धि अनुमान को पहले के 8.0 फीसदी को संशोधित कर 8.5 फीसदी कर दिया गया है। औद्योगिक उत्पादन के बेहतर रहने और इसका सेवा क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव को देखते हुए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को बढ़ाया गया है।'
रिजर्व बैंक का अनुमान सरकार और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकर परिषद (पीएमईएएसी) के अनुमान के अनुरूप है। हालांकि यह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आर्थिक वृद्धि के 9.5 फीसदी वृद्धि के अनुमान से थोड़ा कम है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था की अप्रैल 2010 से वृद्धि संभावना मजबूत हुई है। केंद्रीय बैंक ने कहा, 'हालांकि संचयी वर्षा दीर्घकालीन औसत (एलपीए) से 14 फीसदी कम है, लेकिन मानसून पिछले वर्ष से बेहतर है।
ऐसे में कुल मिलाकर मानसून मानसून बेहतर (अनुमान के मुताबिक एलपीए का 102 फीसदी) रहनी चाहिए जिससे गांवों में मांग बढ़ेगी।' बैंक के अनुसार ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मांग बढऩे से उद्योग क्षेत्र को मजबूती मिलेगी जो अक्तूबर 2009 से ही मजबूती से आगे बढ़ रहा है। हालांकि रिजर्व बैंक ने आगाह किया कि वैश्विक सुधार में अनिश्चितता का असर भारत पर भी पड़ सकता है। केंद्रीय बैंक ने कहा, 'लगातार वैश्विक सुधार की संभावना अभी अनिश्चित बनी हुई है। इसका भारत समेत सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ सकता है।'
केंद्रीय बैंक ने कहा कि देश की आर्थिक वृद्धि की राह की सबसे बड़ी चुनौती वैश्विक परिदृश्य है। इसमें यूनान का ऋण संकट, यूरो क्षेत्र में नरमी और अमेरिका ऋण व्यवस्था को सख्त बनाया जाना और उच्च बेरोजगारी शामिल हैं। रिजर्व बैंक ने कहा है कि वर्ष 2010 की दूसरी छमाही में वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी की आशंका है जिसका देश के विनिर्माण और सेवा क्षेत्र पर असर पड़ सकता है। साथ ही देश में विदेशी पूंजी प्रवाह पर भी इसका असर हो सकता है। ऐसी स्थिति का घरेलू निवेश पर भी असर हो सकता है।
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