रुपये के मजबूत होने और अन्य नकारात्मक वैश्विक आर्थिक कारकों के बावजूद भारत मिर्च के वैश्विक कारोबार में अपनी पुरानी पहचान को फिर से पाने में सफल रहा है।
मसाला बोर्ड के एक शीर्षस्थ अधिकारी ने बताया कि वर्ष 2007-08 में 35,000 टन काली मिर्च का रिकॉर्ड निर्यात किया गया। मसाला बोर्ड के अध्यक्ष वी जे कुरियन ने कहा कि साल के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की पेशकश प्रतिस्पध्र्दात्मक थी जिसमें काफी बढ़त देखी गई।
519.50 करोड़ रुपये कीमत की 35,000 टन काली मिर्च का निर्यात किया गया। परिमाण के हिसाब से देखें तो यह पिछले वर्ष की तुलना में 22 प्रतिशत अधिक और मूल्य के नजरिये से 77 प्रतिशत अधिक था। पिछले वर्ष 28,750 टन काली मिर्च का निर्यात किया गया था जिसका मूल्य 306.20 करोड़ रुपये था।
कुरियन ने कहा, 'परिमाण और मूल्य के नजरिये से भारत द्वारा हाल के वर्षों में काली मिर्च का किया गया यह सबसे बड़ा निर्यात है।' वैश्विक बाजार में आपूर्ति की कमी और प्रमुख उत्पादक देशों, जिसमें वियतनाम भी शामिल है, द्वारा सतर्क बिक्री से अंतरराष्ट्रीय बाजार में काली मिर्च की कीमतों में वृध्दि हुई है।
अमेरिकी बाजार में काली मिर्च का औसत हाजिर मूल्य वर्ष 2006-07 के 2.62 डॉलर प्रति किलोग्राम से बढ़ कर वर्ष 2007-08 में 4.05 डॉलर प्रति किलोग्राम हो गया। कुरियन ने कहा कि भारतीय काली मिर्च के प्रमुख खरीदार अमेरिका, इटली, जर्मनी और कनाडा थे। भारत लगभग 130 देशों को मसालों का निर्यात करता है।